नई दिल्ली । देश में कोरोना के मामले पहले के मुकाबले कम हुए हैं। अब केंद्र, राज्य सरकारों का पूरा फोकस कोरोना टीका अधिक से अधिक लगाने पर शिफ्ट हो गया है। कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की बढ़ती संख्या और इससे होने वाली मौतों से स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी अभी से शुरू हो गई है और फोकस इस बात पर है कि तीसरी लहर आए उससे पहले कोरोना का टीका अधिक से अधिक लोगों को लग जाए। हालांकि सवाल इसका भी है कोरोना का टीका कितने दिनों तक असरदार रहेगा। एक अध्ययन के अनुसार, कोविड -19 संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों में एंटीबॉडी और इम्यून मेमोरी छह महीने से एक वर्ष तक बनी रहती है, और टीकाकरण होने पर वे और भी सुरक्षित हो जाते हैं। रॉकफेलर यूनिवर्सिटी और न्यूयॉर्क में वेइल कॉर्नेल मेडिसिन की एक टीम के नेतृत्व में शोधकर्ताओं का ये निष्कर्ष, सोमवार को प्रकाशित किया गया था। इससे पता लगा है कि Sars-Cov-2 की इम्यूनिटी लंबी हो सकती है। शोधकर्ताओं ने 63 लोगों का अध्य्यन किया जिन्हें संक्रमण से उबरे 1.3 महीने, 6 महीने और 12 महीने हो चुके थे। इनमें से 26 (41%) लोगों को फाइजर-बायोएनटेक या मॉडर्न वैक्सीन की एक खुराक मिली। अध्य्यन में कहा गया कि “टीकाकरण के अभाव में, सरस-कोव-2 के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) के प्रति एंटीबॉडी रिएक्टिविटी, गतिविधि को निष्क्रिय करना और आरबीडी-स्पेसिफिक मेमोरी बी सेल्स की संख्या 6 से 12 महीनों तक स्थिर रहती है। इसमें कहा गया है कि जिन लोगों को टीका मिला है, उनके मामले में नतीज हास्यास्पद हैं – वे वायरस को बेअसर कर दे रहे हैं। इनमें एंटीबॉडी इतनी बढ़ जा रही है कि कोरोना के गंभीर वैरिएंट को भी हरा दे रही है। नेचुरल इंफेक्शन के साथ इम्यून रेस्पोंस अविश्वसनीय रूप से 12 महीने तक चलता है। वहीं टीकाकरण के बाद प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया काफी मजबूत हो जाती है।
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