लंदन। ब्रिटेन की हाउस ऑफ कॉमंस के एक अध्ययन में ये खुलासा हुआ है कि यूरोपीय देशों में ऐसी कंपनियां कोरोना संक्रमण के बाद तेजी से ग्रोथ कर रही है, जिनकी कमान महिलाओं के हाथों में हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए महिलाओं को सेंट्रल लीडरशिप में आना चाहिए। क्योंकि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि जिन फर्मों या संस्थानों की कमान महिलाओं के पास हैं, उनकी प्रोग्रेस भी महामारी के बाद ज्यादा देखी जा रही है। इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि महामारी में महिलाओं की जरूरतों को नजरअंदाज किया। उन्हें रिकवरी स्कीम्स के दौरान साइड-लाइन कर दिया गया। इस स्टडी में शामिल रहीं ब्रिटेन की लेबर पार्टी की नेता एनेलिस डोड्स का कहना है, ‘ब्रिटेन में कोरोना महामारी के बाद के इकोनॉमिक रिफोर्म्स यानी आर्थिक सुधारों में महिलाओं को केंद्रीय भूमिका निभानी चाहिए। इस रिपोर्ट से प्राप्त डेटा से पता चलता है कि महिलाओं के पास एक मजबूत इकोनॉमी बनाने की चाबी है, लेकिन इनवेस्टमेंट यानी निवेश की कमी और देश के कुछ हिस्सों में ‘चाइल्डकेयर डेजटर्स’ के कारण उन्हें मौके नहीं दिए जाते। लेकिन वर्तमान सरकार महिलाओं की चिंताओं से निपट रही है।’ इस बात के भी सबूत हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम लोन मिलता है। केवल 15 प्रतिशत बैंक में महिलाओं द्वारा लोन के लिए आवेदन किए गए हैं। वहीं 22 प्रतिशत महिलाएं नए बिजनेस के लिए बैंक में खाता खोलती हैं। महिलाओं को समानता देने के लिए करीब 1 लाख स्टार्टअप नए आईडिया के साथ शुरू किए जाने चाहिए।कार्यकारी टीमों पर लैंगिक विविधता के चलते टॉप कंपनियों को 25 प्रतिशत ज्यादा फायदा होने की संभावना थी। जबकि 30 प्रतिशत से ज्यादा महिला अधिकारियों वाली कंपनियों के बेहतर प्रदर्शन की संभावना थी।महिलाओं के नेतृत्व वाली एसएमई (स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज) इकोनोमिक प्रोडक्शन में लगभग 8।59 लाख करोड़ रु। का योगदान देते हैं, लेकिन ब्रिटेन के डिपार्टमेंट ऑफ बीईआईएस रिसर्च के मुताबिक, केवल 16 प्रतिशत स्माल एंटरप्राइज एम्प्लॉयर और 3 में से एक महिला कारोबारी है।
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