प्रयागराज। योगगुरु स्वामी आनंद गिरि को उनके गुरु अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि से माफी मिल गई है। गुरु से सुलह होने के बाद आनंद गिरि अपनी शक्ति बढ़ाने में जुटे हैं। हरिद्वार में प्रवास करके अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, उनकी शक्ति का आधार युवा संत हैं।महंत ऋषिश्वरानंद, संत जगजीत सिंह, महंत शिवानंद सहित अनेक महात्माओं की मौजूदगी में युवा भारत साधु समाज ने हरिद्वार में १३ जून को आनंद गिरि को अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है। आनंद गिरि ने इसके जरिए संदेश देने का प्रयास किया है कि युवा महात्माओं का बड़ा वर्ग उनके साथ खड़ा है। वो उनका नेतृत्व कर रहे हैं।परिवार से संपर्क रखने व गुरु के खिलाफ साजिश करने के आरोप में आनंद गिरि को निरंजनी अखाड़ा ने १४ मई को निष्कासित किया था। साथ ही गुरु महंत नरेंद्र गिरि ने उन्हें मठ बाघम्बरी गद्दी व बड़े हनुमान मंदिर से निष्कासित कर दिया। निष्कासन के बाद गुरु-शिष्य के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। फिर २६ मई को लखनऊ में एक शिष्य के घर पर आनंद गिरि की उनके गुरु महंत नरेंद्र गिरि से मुलाकात हुई। उसमें आनंद गिरि ने गुरु से बिना किसी शर्त के माफी मांगी। गुरु ने भी आत्मीयता दिखाते हुए उन्हें माफ कर दिया।गुरु ने तो माफ कर दिया लेकिन निरंजनी अखाड़ा में आनंद गिरि की अभी वापसी नहीं हुई है। इधर, विवादों से खुद को दूर रखकर आनंद गिरि अपनी शक्ति व स्वीकार्यता बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। आनंद गिरि के गुरु पूर्णिमा पर प्रयागराज आने की उम्मीद है, उसके पहले वो खुद को प्रभावशाली बनाने के लिए हर जतन करने में जुटे हैं। युवा संतों को अपने पक्ष में एकजुट करने के साथ देश-विदेश में रहने वाले शिष्यों व शुभचिंतकों से संपर्क स्थापित कर रहे हैं। योग का वर्चुअल अभ्यास भी शुरू कर दिया है।
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