दिल्ली दौरे के दौरान ममता बनर्जी पीएम मोदी से भेंट कर उठा सकती हैं जीएसटी और मनरेगा फंड का मुद्दा

कोलकाता । पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी इस महीने के आखिर में 30 अप्रैल को होने वाले मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में भाग लेने के लिए 29 अप्रैल को नई दिल्ली जाएंगी। इससे पहले उन्होंने पिछले साल नवंबर में राष्ट्रीय राजधानी की अपनी अंतिम यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। ऐसे में अटकलें लगाई जा रहीं हैं कि वह एक बार फिर पीएम के साथ मुलाकात कर सकती हैं। प्रधानमंत्री 30 अप्रैल को सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे और उद्घाटन सत्र को भी संबोधित करेंगे। मीडिया से बात करते हुए एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री फिर से जीएसटी और मनरेगा फंड जारी करने की मांग कर सकती हैं। मंत्री ने कहा, ‘मुख्यमंत्री अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री से मिलने का समय लेने की कोशिश करेंगी। वह केंद्र सरकार से जीएसटी और मनरेगा फंड जारी करने की मांग कर सकती हैं।’ उन्होंने दोहराया कि दिल्ली में पीएम के साथ अपनी आखिरी मुलाकात के दौरान भी ममता बनर्जी ने यही मांग उठाई थी। ममता का दावा है कि केंद्र पर 92,000 करोड़ रुपये से अधिक का फंड बकाया है। दरअसल नवंबर में राष्ट्रीय राजधानी की अपनी अंतिम यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने पीएम से बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट 2022 का उद्घाटन करने का आग्रह किया था। हालांकि, पीएम इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके और पीएम की जगह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इसका उद्घाटन किया था। मुख्यमंत्री का दिल्ली का नवीनतम दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब कलकत्ता उच्च न्यायालय के कई फैसले उनकी सरकार के खिलाफ गए हैं। हाई कोर्ट ने ही बीरभूम जिले में बोगटुई हत्या, पुरुलिया जिले में कांग्रेस पार्षद तपन कुंडू की हत्या और नादिया में एक नाबालिग लड़की के कथित सामूहिक बलात्कार के मामलों को सीबीआई को सौंपा था। वहीं, स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के माध्यम से ग्रुप-डी कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं के कई मामलों को उठाते हुए, एकल पीठ ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था। हालांकि बाद में खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी। ऐसी अटकलें हैं कि सीएम मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में हाल के अदालती फैसलों का मुद्दा उठा सकती हैं। एक महीने पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा था, ‘भारत में लोकतांत्रिक संस्थान सिकुड़ रहे हैं और देश में न्यायिक प्रणाली भी प्रभावित हो रही है। यह ठीक नहीं है।’