नई दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नए वित्त वर्ष 2022-23 की पहली बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। यानी अभी भी रेपो रेट चार फीसदी ही रहेगा। इसके साथ ही रिवर्स रेपो रेट को 3.35 फीसदी रखा गया है। गौरतलब है कि ये लगातार 11वीं बार है, जबकि आरबीआई ने रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। गौरतलब है कि आरबीआई ने आखिरी बार 22 मई 2020 को नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव किया था। तीन दिवसीय आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी बैठक के नतीजों की घोषणा आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा की गई। उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों की सहमति से इस बार भी रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने ये भी कहा कि सप्लाई चेन को लेकर वैश्विक बाजार दबाव में है। केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपने जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटा दिया है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 7.2 फीसदी किया जा रहा है। पहले यह अनुमान 7.8 फीसदी जताया गया था।आरबीआई के अनुसार वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ग्रोथ अनुमान 16.2 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.2 फीसदी और तीसरी तिमाही में 4.1 फीसदी, जबकि चौथी तिमाही में चार फीसदी रखा गया है। इसके साथ ही कच्चे तेल का अनुमान 100 डॉलर प्रति बैरल रखा गया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में तेजी भी बड़ी चिंता का विषय है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस वित्त वर्ष में महंगाई का औसत अनुमान 5.7 फीसदी जताते हुए कहा कि देश में महंगाई बढ़ रही है और ग्रोथ रेट कम हो रहा है। ऐसे में हमारे सामने दोहरी चुनौती है।गवर्नर दास ने कहा कि आर्थिक स्थिरता की राह में फिलहाल महंगाई सबसे बड़ा जोखिम है। अगले कुछ समय तक खाद्य तेलों की महंगाई दर ऊपर ही रहेगी जबकि कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बने रहने का अनुमान है। वैश्विक बाजार में क्रूड के दाम नीचे आने तक भारत पर महंगाई का खास दबाव दिखेगा, जिससे हमारे आर्थिक सुधारों पर भी असर पड़ेगा। पहली चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही में विकास दर 16.2 फीसदी रहने का अनुमान है। यह तेजी पिछले साल आई गिरावट के अनुपात में दिख रही है. हालांकि, जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में विकास दर 6.2 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.1 फीसदी और चौथी तिमाही में 4 फीसदी रहने का अनुमान है।
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