गलत आदतों से बॉडी पोश्चर पर पड़ सकता नकारात्मक असर

लंदन । सारा दिन कुर्सी या बेड पर बैठकर काम करना, हाथों में मोबाइल लिए सिर झुकाकर टेक्स्ट करना, रात में सही तरीके से बिस्तर पर न सोने जैसी आदतों से बॉडी पोश्चर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। यदि व्यक्ति बॉडी पोस्चर से संबंधित इन गलत आदतों को जल्द से जल्द नहीं छोड़ता, तो आगे चलकर शारीरिक मुद्रा और हड्डियों से संबंधित कई समस्याएं हो सकती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, यूके की पोश्चर एक्सपर्ट इवाना डेनियल ने वहां रह रहे लोगों के बैठने, सोने, दिन भर मोबाइल के इस्तेमाल की आदतों को लेकर उन्हें आगाह करते हुए कहा है कि यदि ऐसी आदतें बरकरार रहीं, तो आने वाले 20-30 सालों में उनका बॉडी पोस्चर बुरी तरह से प्रभावित होगा। इस बात को इवाना ने सीजीआई कैरेक्टर पॉली नामक ग्राफिक इमेज की मदद से समझाने की कोशिश की है। उन्होंने पॉली को यूके बेस्ड मैट्रेस स्पेशलिस्ट्स टाइम4स्लीप के साथ मिलकर क्रिएट किया है। टाइम4स्लीप के अनुसार, ब्रिटेन के 70 प्रतिशत लोग पीठ दर्द और 67 प्रतिशत गर्दन के दर्द के साथ जागते हैं। बैठने, खड़े होने और सोने का तरीका सही पोश्चर के लिए काफी मायने रखते हैं। लंबे समय तक कुर्सी पर खराब पोस्चर में बैठे रहने से रीढ़ के ऊपरी भाग, जिसे काइफोसिस कहते हैं में समस्या हो सकती है। इसमें ऊपरी रीढ़ की वक्रता बढ़ जाती है, जो आमतौर पर उन लोगों में पाया जाता है, जो घंटों डेस्क जॉब के दौरान बैठे रहते हैं। काइफोसिस, झुककर, कुर्सियों पर पीछे झुककर और भारी बैग उठाने के कारण हो सकता है।टेक्स्ट नेक तब होता है, जब आप बहुत ज्यादा मोबाइल, स्मार्ट गैजेट्स का यूज करते हैं। मोबाइल के इस्तेमाल के दौरान सिर और गर्दन लगातार आगे की तरफ झुकी होती है, जो इन हिस्सों में स्ट्रेस इंजरी, गर्दन में दर्द का कारण बनता है। गर्दन को खराब स्थिति में रखने से सर्वाइकल स्पाइन कम्प्रेशन के होने का जोखिम रहता है, साथ ही संकुचित रीढ़ की वजह से हाथों, उंगलियों में झुनझुनी या दर्द हो सकता है। खराब पोस्चर के कारण कंधों से संबंधित समस्या सैड शोल्डर हो सकती है। कुछ लोगों की आदत होती है, वे आगे की तरफ कंधों को झुककर काम करते हैं, इससे पीठ छाती के हिस्से को ठीक से नहीं फैलने देती, जिससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। यह खराब मुद्रा दर्द, सूजन और सिरदर्द भी पैदा कर सकता है। आजकल लोगों की जीवनशैली अब पहले जैसी नहीं रही है। पहले लोग शारीरिक रूप से बहुत एक्टिव हुआ करते थे, लेकिन अब मोबाइल, लैपटॉप के अधिक इस्तेमाल, बदलते वर्क कल्चर के कारण लोग घंटों एक ही जगह बैठे रहते हैं।