चरणजीत सिंह चन्नी पर बयान देकर फंसे सुनील जाखड़

नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। पार्टी के ही नेता उन्हें निशाने पर ले रहे हैं। दलित कार्यकर्ताओं ने उनका पुतला फूंका और जाखड़ के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की। वहीं, कांग्रेस नेता राम कुमार वेरका ने जाखड़ को खूब खरी-खोटी सुनाई। कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद पंजाब का सीएम नहीं बनाने पर उनका मानसिक संतुलन हिल गया है। सुनील जाखड़ ने एक इंटरव्यू में अप्रत्यक्ष रूप से चरणजीत सिंह चन्नी पर निशाना साधा था। चन्नी पहले दलित सीएम थे। जाखड़ ने कहा था कि नेतृत्व को समझना चाहिए कि सभी को कहां रखना है? सुनील जाखड़ के कथित बयान को लेकर दलित समाज के लोगों ने बुधवार को उनका पुतला फूंका और आपत्तिजनक बयान की निंदा करते हुए पार्टी हाई कमान से उन्हें तत्काल निकालने की मांग की। वीडियो क्लिप के अनुसार, जाखड़ नाम न लेते चरणजीत सिंह चन्नी का जिक्र करते हुए दिखाई दिए, जो राज्य के पहले दलित सीएम थे। जाखड़ ने पार्टी नेतृत्व के फैसले पर सवाल उठाया था। उन्होंने साक्षात्कार में कहा, “नेतृत्व को यह समझना होगा कि सभी को कहां रखा जाए।” कांग्रेस के पूर्व विधायक राज कुमार वेरका ने बुधवार को जाखड़ पर दलितों के खिलाफ “आपत्तिजनक भाषा” का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और उन्हें पार्टी से निष्कासित करने की मांग की। वेरका ने कहा कि जाखड़ जी क्या आपने मानसिक संतुलन खो दिया है। वेरका ने जाखड़ से एक चैनल के साथ अपने साक्षात्कार का हवाला देते हुए कहा, “आपको माफी मांगनी चाहिए।” वेरका ने कहा कि अमरिंदर सिंह के बेवजह बाहर निकलने के बाद पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से जाखड़ नाराज थे। हालांकि, जाखड़ ने कहा कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया और गलत संदर्भ से जोड़कर देखा गया। जाखड़ ने कहा कि अगर किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो वह खेद व्यक्त करते हैं। वेरका के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए जाखड़ ने कहा कि उन्होंने हमेशा हर धर्म और समुदाय का सम्मान किया है। उन्होंने हमेशा दलितों के लिए लड़ाई लड़ी और आवाज उठाई। इस बीच फगवाड़ा में कुछ दलित कार्यकर्ताओं ने जाखड़ का पुतला फूंका। दलित कार्यकर्ता जरनैल नंगल के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने फगवाड़ा के पुलिस अधीक्षक हरिंदरपाल सिंह को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें जाखड़ के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की मांग की गई।