यूक्रेन-रुस जंग के बीच मॉस्को सहित कई शहरों में दवाओं की किल्लत

मास्को। यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों द्वारा लगे प्रतिबंधों के कारण रूस में कई जरूरी दवाओं की कमी हुई है। दरअसल जंग के साथ मास्को और कुछ अन्य शहरों में दुकानों में कई दवाएं तेजी से खत्म होती गईं। अपने पिता के लिए, रक्त को पतला करने की दवा ढूंढ रहे निवासी ने कहा था, शहर में एक भी जरूरी दवा उपलब्ध नहीं है।’’ रूस में विशेषज्ञों और स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि दवाइयों की कमी अस्थाई है, लेकिन कुछ विशेषज्ञ चिंतित हैं कि उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं रूसी बाजार से गायब होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिबंधों से आपूर्तिकर्ताओं में घबराहट और आपूर्ति से जुड़ी कठिनाइयों के कारण यह स्थिति पैदा हुई है।मास्को में हृदय रोग गहन देखभाल इकाई के प्रमुख ने कहा, (दवा की) किल्लत हो सकती है। हालांकि यह समस्या कितनी गंभीर होगी, यह नहीं पता।’’ युद्ध शुरू होने के बाद मार्च की शुरुआत से ही ऐसी खबरें आने लगीं कि रूस के लोगों को कुछ खास प्रकार की दवा मिलने में दिक्कत हो रही है। रूस के क्षेत्र दागिस्तान में मरीजों के हितों के लिए काम करने वाले समूह ‘पेशेंट मॉनिटर को मार्च के दूसरे सप्ताह से इस तरह की किल्लत की शिकायतें मिलने लगी। ‘पेशेंट मॉनिटर’ के प्रमुख ने कहा कि उन्होंने क्षेत्र में सरकार संचालित 10 बेहद जरूरी दवाओं की उपलब्धता के बारे में जांच की और उन्हें इनका पर्याप्त भंडार नहीं मिला। प्रमुख ने कहा कि जब उन्होंने आपूर्ति करने वालों से पूछा कि दवाएं कब तक उपलब्ध होगी, तब इस बारे में उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि हड़बड़ी में लोगों के ज्यादा मात्रा में दवाएं खरीदकर घर में रख लेने से इनकी किल्लत हुई है। जिन मरीजों का मैंने उपचार किया है, उनमें से कई के पास रक्तचाप संबंधी दवाएं नहीं थीं।’’इतना ही नहीं कई शहरों में इंसुलिन, थॉयराइड की दवा, बच्चों के लिए दर्द निवारक दवाओं की आपूर्ति भी तेजी से घटी है। चिकित्सा कर्मियों के लिए काम करने वाले रूस के ऑनलाइन संगठन ने मध्य मार्च में एक सर्वेक्षण कर कहा कि एंटी-इनफ्लामेटरी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, एंटीपीलेप्टिक और एंटी कोनवुल्सेंट समेत 80 से अधिक किस्म की दवाओं की किल्लत है। इस बीच, रूस के स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र के नियामक रोस्जद्रावनादजोर ने कहा कि ‘‘दवा बाजार की स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, हड़बड़ी में दवाएं खरीद कर रखने की प्रवृत्ति घट रही है।’’