प्रयागराज | मंडल के सिग्नल और दूरसंचार विभाग द्वारा प्रयागराज – नैनी खंड के 7.06 किलोमीटर लम्बे खंड पर 1973 से चले आ रहे ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली के आधुनिकीकरण का कार्य दिनांक 04.04.22 को पूरा हो गया। सिग्नलिंग उपकरणों के आधुनिकीकरण सिग्नल विभाग की प्राथमिकता रही है। इस खंड के दोनो रिले हट में हिटाची की इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग लगाया गया है। पावर सप्लाई के निर्बाध आपूर्ति के लिए इंटीग्रेटेड पावर सप्लाई सिस्टम लगाया गया है।सिग्नलिंग उपकरणों की विफलता की स्थिति में विफलता के कारणों का पता लगाने में अधिक समय न लगे तथा मानव श्रम की भी बचत हो, इसके लिए सिग्नलिंग उपकरणों के डाटा को एनालिसिस करने के लिए डेटालॉगर स्थापित किया गया है। डटलॉगेर से एकीकृत सञ्चालन हेतु इस डटलॉगेर को प्रयागराज मंडल के सेंट्रल डटलॉगेर सेण्टर के इंटीग्रेटेड किया गया है। इसके आलावा, इस खंड में फ्रॉस्चर की 40 MSDAC ड्यूल एक्सल काउंटर ट्रैक सर्किट लगाया गया है जो ऑटो रिसेट प्रणाली से लैस है. इससे सिग्नल विफलता में कमी आएगी जिससे यात्री ट्रेनों के समय पालन में भी सुधर आएगा। इस खंड में 6 LED सिग्नल लगाए गए है। प्रयागराज मंडल में ट्रेन परिचालन के हिसाब से अत्यंत व्यस्त होने के कारण केबल इंसुलेशन के टेस्टिंग के लिए प्रयाप्त ब्लॉक नहीं मिल पता है जिसका सीधा असर सिग्नलिंग उपकरणों के कार्य क्षमता पर पड़ता है। इससे निपटने के लिए अर्थ लीकेज डिटेक्टर लगाया गया है जो सभी केबल कोर के इंसुलेशन की निगरानी करने के साथ-साथ सचेत भी करता है। नए तकनीक के प्रति सिग्नल विभाग के कर्मचारिओं को अधिक सशक्त बनाने हेतु प्रयागराज मंडल के सिग्नल विभाग के कर्मचारिओं को उक्त नयी तकनीक के मेंटेनेंस एवं विभिन्न प्रकार के विफलता को ठीक करने हेतु सक्षम बनाया गया है। सिग्नल विभाग द्वारा किये गए उपर्युक्त सराहनीय कार्य से रेल गाडिओं के समय पालन में काफी सुधर आएगा तथा मालगाड़िओ के एवरेज स्पीड में भी बढ़ोतरी हो सकेगा।
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