नई दिल्ली । हर साल 24 मार्च को वर्ल्ड ट्यूबरक्लोसिस डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को टीबी की बीमारी के प्रति जागरुक करना है। टीबी के लक्षण की बात करें तो टीबी के सबसे आम लक्षणों में सबसे प्रमुख खांसी है जो लंबे समय तक चलती है। ये 2-3 सप्ताह से अधिक समय तक बनी रहती है। टीबी में आने वाली खांसी सूखी नहीं होती है और इसमें लार और बलगम भी साथ में निकलता है।खांसी के साथ खून आना, सीने में दर्द या सांस लेते समय दर्द महसूस होना, तेजी से वजन कम होना, बहुत ज्यादा थकान, बुखार, रात में पसीना आना, ठंड लगना, भूख ना लगना टीबी के आम लक्षण हैं। टीबी से संक्रमित कोई व्यक्ति जब खांसता, छींकता या हंसता है, तो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में चला जाता है, जिससे टीबी होता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार ये जीवाणु बहुत आसानी से फैलते हैं लेकिन इसके बावजूद टीबी इंफ्केशन होना इतना आसान नहीं है। आमतौर पर ये फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन इसके अलावा ये यह लिम्फ ग्रंथियों, पेट, रीढ़, जोड़ों और शरीर के अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित कर सकता है। टीबी इंफेक्शन 2 तरह का होता है। लेटेंट टीबी और एक्टिव टीबी। लेटेंट टीबी में मरीज संक्रामक नहीं रहता और ना ही इसमें कोई खास लक्षण दिखाई देते हैं। इसमें इंफेक्शन शरीर के अंदर रहता है और वो कभी भी एक्टिव हो सकता है। वहीं एक्टिव टीबी में रोगाणु कई गुना बढ़ जाते हैं और आपको बीमार कर देते हैं। इस स्थिति में आप दूसरों को भी ये बीमारी फैला सकते हैं। नब्बे प्रतिशत एक्टिव टीबी केसेज लेटेंट टीबी इंफेक्शन से ही होते हैं। कभी-कभी ये ड्रग रेजिडेंट भी हो जाता है यानी इसके बैक्टीरिया पर कुछ दवाएं काम नहीं करती हैं। अगर आपके किसी दोस्त या सहकर्मी को एक्टिव टीबी है को आपके भी संक्रमित होने की पूरी संभावना है। रूस, अफ्रीका, पूर्वी यूरोप, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन जैसे क्षेत्र में रहने या यात्रा कर चुके लोगों में इसकी संभावना ज्यादा होती है क्योंकि यहां टीबी आम है। एचआईवी से संक्रमित लोग, बेघर या जेल में रहने वाले लोगों या फिर इंजेक्शन के जरिए ड्रग्स लेने वालों में इसके फैलने की संभावना अधिक होती है। टीबी के मरीजों का इलाज कर रहे हेल्थ वर्कर भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। स्मोकिंग करने वालों में भी टीबी की बीमारी का खतरा हमेशा बना रहता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि टीबी के लक्षण दिखते ही तुरंत इसका इलाज शुरू कर देना चाहिए। जो लोग जितना लंबा इंतजार करते हैं, उनकी स्थिति उतनी ही खराब होती जाती है। इसके लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। आमतौर पर 6 महीने के कोर्स के तहत टीबी का इलाज किया जाता है। बता दें कि दुनिया भर में करोड़ों लोग टीबी की बीमारी से जूझ रहे हैं। ये एक गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण है जो फेफड़ों पर असर डालता है। धीरे-धीरे ये आपके दिमाग और रीढ़ जैसे शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। ये बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम के एक बैक्टीरिया की वजह से होती है।
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