प्रयागराज।केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के आज़ाद पार्क स्थित गङ्गानाथ झा परिसर के द्वारा देश के अनेक प्रान्तों से आए हुए शोधछात्रों के प्राक्-शोध प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के अन्तर्गत शोधप्रविधिपरिचय कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया है। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन संस्थान से आए हुए प्रो. सन्तोष कुमार शुक्ल ने अपने वक्तव्य के द्वारा शोध का स्वरूप कैसा हो, शोध के विविध प्रकार, अनुसन्धान का महत्व आदि विषयों पर शोध छात्रों को मार्गदर्शन किया। उन्होने कहा कि अनुसन्धान आज के समाज के लिए में उपयोगी होना चाहिए। शोध से बौद्धिक विकास होता है। इन्होंने संस्कृत भाषा में निहित भारतीय ज्ञान की विभिन्न शाखाओं में किस प्रकार शोध किया जाय यह भी बताया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रयाग विश्वविद्यालय के भूतपूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. हरिदत्त शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस प्रकार शोध छात्रों का गम्भीर प्रशिक्षण प्रदान करके केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय उच्चशिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है। इन्होने संस्कृत में हो रहे महत्त्वपूर्ण शोध कार्यों के बारे में भी बताया। परिसर के निदेशक प्रो. ललित कुमार त्रिपाठी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। अपने भाषण में इन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि अनुसन्धान का विषय क्या हो, इसके चयन के लिए शोध के पूर्व भी अनुसन्धान की आवश्यकता है।कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. अपराजिता मिश्रा ने स्वागतभाषण किया। डॉ. मोनाली दास ने कार्यक्रम का सहसंयोजन तथा धन्यवाद ज्ञापन किया। सञ्चालन शोधछात्र अंकित कुमार ने किया। कार्यक्रम में प्रो. रामकृष्ण पाण्डेय, डॉ. सुरेश पाण्डेय, श्री सुदीप्त मुंशी आदि उपस्थित रहे।
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