चित्रकूट। रामायण मेला परिसर सीतापुर में महाजन मनिहार परिवार की मेजबानी में चल रही रामकथा के तीसरे दिन गुरुवार को संत मुरलीधर जी महाराज ने श्रीरामचरितमानस के बालकांड में वर्णित राजा दशरथ के भगवान राम सहित चारों पुत्रों के नामकरण संस्कार, बाल लीलाओं, विद्यारंभ संस्कार, अहल्या उद्धार, पुष्प वाटिका, सीता स्वयंवर प्रसंग के तहत धनुष भंग प्रसंग में भगवान राम व जगत जननी मां सीता विवाह कथा का भावपूर्ण रसपान श्रोताओं को कराया। भगवान राम व जगत जननी मां सीता के विवाह पर लोक संस्कृति के मांगलिक गीतों पर श्रोता आनंदित रहे। कथा प्रसंग के माध्यम से महाराज ने कहा कि सीता भक्ति तथा धनुष अहंकार का प्रतीक है। यदि भक्ति रूपी सीता को प्राप्त करना चाहते हैं तो मन में बसे अहंकार रुपी धनुष को भंग करना होगा। महाराज ने कहा कि यूं तो धाम धाम में सुख है लेकिन सुख का धाम केवल राम है। कलियुग में केवल राम का नाम ही आधार है। यही परम आनन्द देने वाला सुख का सागर है। जीवन रुपी गाड़ी में सुख व दुख दो तरह के स्टेशन है, लेकिन एक राम नाम रुपी ऐसा जंक्शन है जहां से जीवन की गाड़ी मोड़ने पर आंनद ही आनंद की प्राप्ति होती है। जो लोग राम नाम का सहारा लेते हैं वे जगत का आधार बन जाते है। रामायण जी की सुंदर चैपाइयों पर श्रोता भक्ति में सराबोर हो गए। इस अवसर पर भागवताचार्य सिद्धार्थ पयासी, चंद्रकला, रमेशचंद्र मनिहार, विजय महाजन, नीलम महाजन, गरीब राम सहित साधु संत, श्रोतागण मौजूद रहे।
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