चित्रकूट। होली की परम्परा, संस्कृति व पारम्परिक फाग गीत के प्रति जहां आगामी पीढ़ी का रुझान कम हो रहा हैं, वहीं परम्परा को संरक्षित करने का कार्य पाठा के बुजुर्ग व युवा कर रहे हैं। युवा जोश व अनुभव का मिश्रण अन्य गांवों के लोंगों को भी माटी की संस्कृति को बचाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।गांवों में बसंत पंचमी से ही फाग के गीत सुनाई देने लगते हैं। होलिका त्यौहार प्रारंभ से गांव में हर रोज किसी न किसी के घर पर या चबूतरे पर फाग गाने की परंपरा चल रही है। शाम होते ही फाग गाने वालों की टोली गांव में ढोलक व झाल लेकर नियत स्थान पर पहुंच जाती है। बसंत ऋतु के आगमन के साथ होली की खुमारी छाने लगती है। बसंत पचमी के बाद तो फाल्गुनी बयार शुरू हो जाती है। इसका असर गांव में दिखाई देता है। बुजुर्ग हो या युवा हर कोई होली के रंग में रंगने लगता है। जब हमारी टीम ने क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों मे पहुंच कर जायजा लेने के दौरान ग्रामीणों ने बातचीत मे बताया कि इस परंपरा से गांव मे सौहार्द बनाने का प्रयास किया जाता है। परंपरा के निर्वहन के प्रति युवाओं को संजिदा देख गांव के बुजुर्ग प्रफुल्लित हैं। उन्हें उम्मीद है कि अब उनकी संस्कृति अनंत काल तक जीवंत रहेगी। फाग गाने की यह परम्परा आज भी इस बुंदेलखंड की धरती में देखने को मिलती है। यदि फाग सुनने की ललक है तो यहां के गावों मे होली के इस त्यौहार पर हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार फागुन गीत फाग गया जाता है। फाग गायन के मध्यम से आज भी वह परम्परा कायम है जहाँ तक बात की जाए इस पाठा कि तो यहां आज भी वह विलुप्त संस्कृति दर्शन को मिलती है। पाठावासी भारतीय संस्कृति को आज भी संजोए हुए हैं। होली विशेष पर यह गीत लोगों को सबसे अधिक भाता है। होलिका दहन के समय ईश्वर को याद कर दहन विशेष प्रार्थना कर उस पर फाग गया जाता है। रसिया को नार बनाओ री रसिया को पावन, बुन्देलखंडी फाग समां बांध रहा है। मस्ती भरे फाग बुंदेलखंड में होली के एक माह पहले से ही गूंजने लगते हैं, क्योकि फागुन का महीना आये और बुंदेलखंड की फिजा में फाग ना गूंजे ऐसा हो ही नहीं सकता। इसी मस्ती भरे गीतों और रंगों की फुहारों ने बुंदेलखंड में होली की अलग ही पहचान बना रखी है। यहाँ की होली में और खास बात ये है कि यहाँ ब्रज की मस्ती छेड़-छाड़ और अवधी नफासत दानों का अनूठा संगम एक साथ देखने को मिलता है। नए आये सजन खेले होरी, पहली होरी मइके में खेली भैया बहन की क्या जोड़ी, ये होली के फाग का सबसे अच्छा गीत है। जहा बात की जाए यहा की होली की तो आज भी फाग गाने में अलग अंदाज है, लेकिन पहले जैसी बात नही रही। फिलहाल होली के आगाज के साथ आज भी यहाँ के लोग फाग गाने में मस्त हो जाते है। संस्कृति और रीतिरिवाज के चलते आज भी इस बुंदेलखंड में होली के फागुन में फाग की बात ही अलग है। होली फाग मे बुंदेलखंड एक अलग पहचान बनाऐ हुए है।
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