मृदंग थाप, शहनाई धुन, शास्त्रीय गायन से बांधा समां

चित्रकूट। आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में नादऑरा संस्था दिल्ली व उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में तबला महर्षि पंडित अनोखेलाल मिश्र व पंडित छोटे लाल मिश्र की स्मृति मे चित्रकूट के रामघाट पर दो दिवसीय शास्त्रीय संगीत का भव्य आयोजन हुआ।प्रथम दिवस पर कार्यक्रम का उद्घाटन जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ल ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। दिव्यांग विश्वविद्यालय की डा. ज्योति ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी। तबला संगत डर. विवेक फड़नीस, हारमोनियम संगत डा. गोपाल मिश्रा ने किया। पुणे से आए युवा कलाकार मनोज सोलंकी के मृदंग के स्वतंत्र वादन से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। मृदंग वादन में कई चक्रदार रचनाओं को बजाते हुए चक्रदार महोत्सव की सार्थकता को सिद्ध किया। मृदंग की थाप और तिहाईयों के सौंदर्य को कलाकारों ने तालियों के साथ सराहा। हारमोनियम संगत ललित सिसोदिया दिल्ली ने की। दिल्ली के कलाकार शंकर बंधुः संजीव शंकर, अश्वनी शंकर ने शहनाई वादन में राग मारू बिहाग की बंदिश, राग काफी में धुन बजाकर लोगों को संगीत भाव में सराबोर किया। तबला संगत में डा. कुमार ऋषितोष, दुक्कड़ संगत मे आनंद शंकर रहे। दूसरे दिन की संध्या में बनारस के कलाकारों की प्रस्तुतियां हुई। जिसमें सर्वप्रथम किशन रामडोहकर ने तीनताल में तबला एकल वादन की प्रस्तुति दी। वादन में बनारस घराने की छाप दिखी। उठान, पेशकार, कायदा, पलटा के साथ ही फरमाइशी चक्रदार, कमाली चक्रदार की रचनाओं से श्रोताओं का मन मोहा। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के गायन विभाग के डा. राम शंकर ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति देकर लोगों को गोस्वामी तुलसीदास की पावन स्मृति में अवगाहन कराया। कार्यक्रम में नादऑरा संस्था की ओर से डा. राम शंकर, किशन रामडोहकर, शंकर बंधु, डा. गोपाल कुमार मिश्र को संगीत के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए नाद रत्न सम्मान प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डा. राजा पांडेय व संस्था अध्यक्ष डा. ऋषितोष ने धन्यवाद ज्ञापित किया।