होली पर मिलावटी मिठाइयों से पटा बाजार

जौनपुर। होली का त्योहार नजदीक आते ही मिलावट खोर पूरी तरह से सक्रिय हो गए है। ऐसे में सावधान होने की जरूरत है। कहीं मिठाई के नाम पर ज़हर तो नही खा रहे हैं? वर्ष भर में तमाम त्योहार आते हैं। जिसमे मिठाई प्रमुख रूप से जरूरत होती हैं। ऐसे में ज्यो-ज्यो त्योहार नज़दीक आता है त्यों-त्यों मिलावट खोरी का धंधा बड़ी तेजी के साथ शुरू होता हैं। इन दिनों बड़े धूमधाम से यह गोरखधन्धा चल रहा है। यही विभागीय उदासीनता के कारण ऐसे गोरखधन्धा करने वालों का हौसला बुलन्द हैं। यदि भूले – भटके से कोरम पूरा करने की नीयत से जिम्मेदार अधिकारी पहुँच भी जाते हैं तो बस खानापूर्ति करके बैरंग लौट जाते है या फ़िर हिम्मत जुटाकर सैम्पलिंग कर लेते हैं और बाद में मामला रफ़ा-दफ़ा हो जाता है। खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत मिठाई बेचने वालों को ट्रे में रखी मिठाई के साथ एक पर्ची रखना जरूरी हैं की ट्रे में रखी मिठाई कब तक उपयोग किया जा सकता हैं। लेकिन दुकानदार इसका पालन नही करता हैं। न ही कोई जिम्मेदार अधिकारी पालन कराने की जहमत उठाने की कोशिश कर रहे है जबकि क़स्बा में कई दर्जन मिठाइयों की दुकान हैं। ऐसे में खाद्य सुरक्षा के तहत जारी गाइडलाइन का पालन नही हो रहा हैं। खाद्य सुरक्षा की गाइडलाइन का पालन दुकानदार कागजों में भले कर रहे हो। लेकिन लोग डेट एक्सपायर मिठाई खाने को मजबूर है? अगर त्योहारों में कार्यवाही के लिए टीम आती भी हैं तो इतिश्री करके वापिस लौट जाती है औऱ मामला ठंडे बस्ते में चला जाता हैं। त्योहार नज़दीक आते ही दुकानदारों द्वारा रेडिमेन्ट मिठाईयां बेचने की होड़ मच जाती है। हर दुकानदार की दिली इच्छा होती है कि कितना अधिक से अधिक मिठाईयां बेच ले। जिसमें ज्यादातर मिठाईयां बनी होती है या रेडीमेन्ट यानी दुकानदार बना बनाया मिठाई खरीदकर बिक्री करते है। जिससे पता नहीं चल पाता है मिठाई कहा और कब की बनी है। इसकी खाने की सीमा क्या है। जबकि सरकार का आदेश है कि मिठाई की दुकानों पर बिकने वाली मिठाईयों की मैन्यूफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट लिखकर लगाएं। मिठाइयों का यह गोरखधंधा चिराग तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ कर रही है।