जौनपुर। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चैथे दिन कथा व्यास डॉ0 रजनीकांत द्विवेदी ने गजेंद्र मोक्ष और वामन अवतार की कथा के साथ-ही-साथ श्री राम जन्मोत्सव और श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई। इस मौके पर भगवान श्री कृष्ण की जीवंत झाकियां सजाई गई, जिसे देखकर श्रद्धालु अभिभूत हो उठे। डॉ0 द्विवेदी ने कहा कि जब तक हमारा जीवन भगवान राम की तरह नहीं रहेगा तब तक श्री कृष्ण कथा हमें समझ में नही आयेगी। कथा व्यास जी ने कहा कि भागवत कथा एक ऐसी कथा है जिसे सुनने ग्रहण करने से मन को शांति मिलती है अपने शरीर में भरी मैल को साफ करने के लिए अगर इसे मन से ग्रहण करें तो यह अमृत के समान है इसमें अपने अंदर का मैं अर्थात अहंकार खत्म करना चाहिए। कहा कि मानव का सबसे बड़ा दुश्मन हमारे अंदर बैठा अहंकार है श्रीमद् भावगत कथा अपने मन में बँठा ष्मैंष् और अहंकार को खत्म करने का उचित दर्शन है। श्रीमद्भागवत के पंचम स्कन्धानुसार राजा बलि से तीन पग पृथ्वी नापने के समय भगवान वामन का बांया चरण ब्रह्माण्ड के ऊपर चला गया, वहां ब्रह्माजी के द्वारा भगवान के पाद प्रच्छालन के बाद उनके कमण्डल में जो जलधारा स्थित थी वह उनके चरण-स्पर्श से पवित्र होकर ध्रुवलोक में गिरी और परम पवित्र गंगा का उद्गम हुआ। बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए।
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