धु्रव की उत्कृष्ट भक्ति से प्रसन्न होते हैं भगवान: आचार्य अभिषेक

तिंदवारी। भागवत कथा श्रवण से पाप नष्ट होते हैं। धु्रव की उत्कृष्ट भक्ति से भगवान प्रसन्न हो गए। यह विचार आचार्य अभिषेक ने भागवत कथा बखान करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने से जन्म-जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।मालुम हो कि भुजौली त्रिपाठी परिवार में श्रीमद्भागव कथा का आयोजन किया गया है। श्रीमद्भागवत के तृतीय दिवस पर कथाव्यास आचार्य अभिषेक शुक्ल जी ने ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि श्री ध्रुव जी महाराज अपनी सौतेली माता सुरुचि के दुर्वचनों से बड़े दुखी हुए और उन्होंने नारद जी महाराज का शिष्यत्व प्राप्त करके भगवान की उत्कृष्ट साधना की जिससे भगवान प्रसन्न हुए और भक्त धु्रव को विविध वरदान प्रदान किए। भगवान के संपर्क से या उनके नामस्मरण से श्वपच, शबर, खस, यवन, कोल तथा किरात आदि अत्यन्त अपवित्र मानव भी परमपावन हो जाते हैं तथा भरत जैसै राजकुमार उन्हें अपने हृदय से लगा लेते हैं। नामस्मरण सर्वाधिक पापी तथा पतितों को भी परम पवित्र, निष्पाप एवं पूज्य बना देता है। कहा कि मनुष्य योनि में उत्पन्न मानव के पास गर्भावस्था से ही नाना प्रकार के सुख-दुख आते रहते हैं। अतः मनुष्य सुख-दुख इन दोनों स्थितियों में सम बना रहे। इस अवसर पर आयोजक श्री कृष्णपाल त्रिपाठी, शिवम त्रिपाठी, मनोज, रामहित, अर्जित इत्यादि उपस्थित रहे।