नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने गैंगेस्टर अबू सलेम की ओर से दायर एक याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। अबू सलेम 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में अपनी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। सलेम की याचिका में कहा कहा गया है कि भारत और पुर्तगाल के बीच प्रत्यर्पण संधि की शर्तों के अनुसार उसकी कारावास की सजा 25 साल से अधिक नहीं हो सकती है। जस्टिस एस के कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने सलेम की उस याचिका पर जवाब देने के लिए केंद्र को चार सप्ताह का समय दिया, जिसमें दावा किया गया है कि टाडा अदालत का 2017 का फैसला उसे आजीवन कारावास की सजा देना प्रत्यर्पण संधि की शर्तों के खिलाफ था। सलेम की ओर से पेश अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि सलेम को आजीवन कारावास की सजा भारत सरकार द्वारा पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन के खिलाफ है जहां से उसे प्रत्यर्पित किया गया था। वकील ने कहा था कि भले ही टाडा अदालत ने माना था कि वह सरकार के आश्वासन के लिए बाध्य नहीं है, सुप्रीम कोर्ट के पास ही इस मुद्दे को तय करने की शक्ति है। याचिका में कहा गया है भारत सरकार की ओर से स्पष्ट आश्वासन के बावजूद कि अपीलकर्ता को 25 साल से अधिक की सजा नहीं दी जाएगी, जो आश्वासन पुर्तगाल के सुप्रीम कोर्ट तक न्यायिक कार्यवाही का हिस्सा था और जिस पर प्रत्यपर्ण आदेश पारित किया गया था। 25 फरवरी, 2015 को विशेष टाडा अदालत ने 1995 में मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन की उनके ड्राइवर मेहंदी हसन के साथ हत्या के एक अन्य मामले में सलेम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पुलिस के अनुसार 7 मार्च 1995 को जैन की उसके जुहू बंगले के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
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