इविवि के प्रोफेसर शेखर अधिकारी यूजीसी के सदस्य मनोनीत

प्रयागराज। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन विभाग के प्रोफेसर शेखर अधिकारी को महाराष्ट्र के केवी पेंढारकर कॉलेज ऑफ आटर्स साइंस एंड कामर्स की गवर्निंग बॉडी में पांच वर्ष के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का नामित सदस्य मनोनीत किया गया है। हाल में वह गुजरात के गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में चार वर्ष के लिए विजिटिंग प्रोफेसर के रुप में भी मनोनीत किए गए थे। प्रो. अधिकारी को भारत सरकार द्वारा देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में रक्षा अध्ययन विषय को एक विषय के रूप में स्थापित करने का महत्वपूर्ण दायित्व भी सौंपा गया है। इसके तहत आने वाले दिनों में देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में रक्षा अध्ययन विभाग की स्थापना की जाएगी। वह संयुक्त राज्य अमेरिका आसूचना एजेंसी के अंतरराष्ट्रीय विजिटर प्रोग्राम के फेलो भी रह चुके हैं। वर्तमान में नेशनल कांग्रेस फॉर डिफेंस स्टडीज के अध्यक्ष भी हैं। इनकी लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशको द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं। इलाहाबाद केंद्रीय विवि के विधि संकाय की तरफ से शनिवार को वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें १२ जून १९७५ को तत्कालीन प्रधानमंत्री के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को लेकर चर्चा की गई। यह फैसला जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने सुनाया था। इविवि के विधि संकाय के डीन और विभागाध्यक्ष प्रो. जेएस सिंह ने बताया कि १२ मई १९२० को जन्मे जस्टिस सिन्हा बरेली जिला न्यायालय में वकालत करते थे। वह उच्च न्यायिक सेवा में चयनित होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज बने। १२ जून १९७५ को उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध घोषित किया था। इसके बाद देश में आपातकाल की नींव पड़ी थी। सुनवाई के दौरान उस समय के पक्ष और विपक्ष के सभी दिग्गज नेता आए थे।इंदिरा के प्रतिद्वंद्वी राजनारायण की तरफ से शांतिभूषण प्रमुख अधिवक्ता थीं। उन्होंने इंदिरा से तीखे सवाल पूछे थे। इंदिरा ने सभी प्रश्नों का विस्तार से उत्तर भी दिया था। यह भारत के इतिहास में पहला अवसर था, जब कोई प्रधानमंत्री हाइकोर्ट में गवाही के लिए उपस्थित हुआ था। इसके अलावा डॉ. सतीश चंद्र दुबे ने इस ऐतिहासिक निणNय के विधिक संबंध की विस्तार से व्याख्या की। प्रोफेसर अरुण कुमार श्रीवास्तव ने जस्टिस जगमोहन के विधिक विद्वता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जस्टिस सिन्हा कानून के बड़े जानकार थे। अपने निणNय के जरिए वह महान न्यायाधीश कहलाने के योग्य हैं।