प्रयागराज।भारतीय रेलवे को विश्व का सबसे बड़ा हरित रेलवे बनाने के मिशन के अनुरूप, उत्तर मध्य रेलवे न केवल अपने पूरे खंड के विद्युतीकरण की ओर बढ़ रहा है, बल्कि झांसी स्थित डीजल लोको शेड को इलेक्ट्रिक लोको शेड में बदलने की भी परिकल्पना की है।विद्युतीकरण में वृद्धि के साथ, विद्युत इंजनों का उत्पादन बढ़ाया गया है और इतनी ही संख्या में डीजल इंजनों को सेवा से वापस लिया जा रहा है। यह स्वाभाविक रूप से डीजल लोको शेड को इलेक्ट्रिक में बदलने की आवश्यकता को जन्म देता है। डीजल लोको शेड झाँसी उत्तर मध्य रेलवे का एकमात्र प्रमुख डीजल लोको शेड है जो मेल/एक्सप्रेस, यात्री, माल और शंटिंग सेवाओं की यातायात आवश्यकताओं को पूरा करता है। शेड ने राष्ट्र की सेवा में ४६ गौरवशाली वर्ष पूरे कर लिए हैं । वर्तमान में यह २८ डब्ल्यूएजी-७ इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के अलावा ७४ एल्को लोको, १३ शंटिंग लोको और ३२ एचएचपी लोको का रखरखाव करता है। यह एक १४० ऊ क्रेन, दुर्घटना राहत ट्रेन और झांसी में तैनात दुर्घटना राहत चिकित्सा वैन का अनुरक्षण भी करता है। यह रनिंग स्टाफ के लिए भी १०० प्रशिक्षुओं के लिए चार कक्षाओं और ८० बिस्तरों वाले छात्रावास के साथ एक कक्षा प्रशिक्षण प्रदान करता है। डीजल से इलेक्ट्रिक में लोको शेड का रूपांतरण एक क्रमिक चरणबद्ध प्रक्रिया है, जिसकी शुरूआत पिछले साल जुलाई २०२० में पहले ही शुरू किया जा चुकी है। ओएचई परीक्षण सुविधा, परीक्षण शेड से ट्रिप शेड तक ओएचई बिछाने, पटरियों को उठाने आदि जैसी अतिरिक्त सुविधाओं के प्रावधान के साथ तीन चरणों में रूपांतरण की योजना बनाई गई है। यह परिकल्पना की गई है कि मार्च २०२४ तक शेड की इलेक्ट्रिक लोको होल्डिंग क्षमता १०० तक बढ़ जाएगी, मार्च २०२१ में २५ इलेक्ट्रिक इंजनों की तुलना में । वर्तमान में डीजल इंजनों की होल्डिंग माल और कोचिंग सेवाओं के लिए क्रमशः ६४ और ३७ है, यह माल इंजनों के लिए घटकर १७ हो जाएगी, जबकि मार्च २०२४ तक कोचिंग सेवाओं के लिए कोई डीजल लोकोमोटिव नहीं होगा। डीजल इंजन केवल शंटिंग के लिए और आपात स्थिति के लिए ही रहेंगे। पीपीटी को एक वीडियोकांफ्रेंसिंग में प्रस्तुत करते हुए, एनसीआर के मुख्य मोटिव पावर इंजीनियर अनिल द्विवेदी ने बताया कि इस रूपांतरण अभ्यास की सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह है कि लोको शेड के समग्र लेआउट में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है और जनशक्ति का सर्वोत्तम उपयोग किया जा रहा है। शेड में अधिकांश कर्मचारी वर्ग इलेक्ट्रिक और डीजल दोनों सेवाओं के लिए समान रहेंगे जिससे पूरी योजना में किफायत आएगी। द्विवेदी ने आगे बताया कि विद्युत इंजनों के अनुरक्षण हेतु पर्यवेक्षकों, टेकनीशियन एवं अन्य ग्रुप डी स्टाफ सहित मैनपावर की वर्तमान आवश्यकता को पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है और इस प्रकार अगले तीन वर्षों के लिए किसी अतिरिक्त जनशक्ति की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि अधिकारियों द्वारा ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से मौजूदा कर्मचारियों का क्षमता निर्माण किया जा रहा है। महाप्रबंधक एनसीआर वी.के.त्रिपाठी ने बताया कि रेलवे को अधिक कुशल, आर्थिक और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधन बनाने के लिए पूरे भारतीय रेलवे में एक एकीकृत योजना बनाई जा रही है। जैसे-जैसे एसी इंजनों की संख्या बढ़ेगी, हम इन लोकोमोटिवों को त्वरित और सर्वोत्तम रखरखाव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग बैठक में एनसीआर के उप महाप्रबंधक रंजन यादव, प्रमुख मुख्य विद्युत अभियंता सतीश कोठारी, मंडल रेल प्रबंधक, झांसी संदीप माथुर सहित अन्य झाँसी मंडल के अधिकारी उपस्थित थेघ्
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