बालिका दिवस: शाह की बेटियों को शुभकामना, कहा महिला अनुपात में दिख रहा है क्रांतिकारी सुधार

नयी दिल्ली | केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर सोमवार को देश की गौरव, भारत की हर बेटी को शुभकामनाएं दीं और कहा कि आज बेटियां हर क्षेत्र में देश का गौरव बढ़ा रही हैं।श्री शाह ने इस अवसर पर कहा कि बालिका विकास और महिला कल्याण की योजनाओं को अभियान के रूप में लेने से आबादी में स्त्री-पुरुष अनुपात में तेजी से सुधार हो रहा है।उन्होंने एक बयान में कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिला विकास की सोच को महिलाओं द्वारा प्रेरित विकास के संकल्प में बदला और अवसरों के द्वार खोले हैं, आज देश की बेटियाँ हर क्षेत्र में भारत का नाम रोशन कर रही हैं।”गृहमंत्री ने कहा कि मोदी जी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ जैसी ढेरों योजनाओं से पूरे देश में बेटियों को गौरव और स्वाभिमान के प्रतीक के रूप में अपनाने की अपील की, जिसके परिणामस्वरूप ये जन अभियान में बदला है और लिंगानुपात में क्रांतिकारी सुधार आया है।श्री शाह ने ट्विटर पर अपने संदेशों में कहा, “आज देश की बेटियाँ हर क्षेत्र में भारत का नाम रोशन कर रही हैं। ‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ पर मैं देश की गौरव भारत की हर बेटी को शुभकामनाएं देता हूँ।”हर वर्ष 24 जनवरी को देश में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इसकी शुरूआत 2008 में की थी।। इसका उद्देश्य देश में कन्याओं को समर्थन और अवसर प्रदान करने के विषय में जनजागृति को प्रोत्साहित करना है। सरकार का जोर है कि लड़कियों के प्रति समाज के नजरिये में बदलाव आए, कन्या-भ्रूण हत्या पर विराम लगे और घटते लैंगिक अनुपात की समस्या के प्रति लोगों को जागरूक किया जाये।हाल के वर्षों में सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, सीबीएसई उड़ान योजना, लड़कियों के लिये मुफ्त या सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षा, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में महिलाओं के लिये आरक्षण और माध्यमिक शिक्षा के लिये लड़कियों को प्रेरित करने की राष्ट्रीय योजना जैसी पहल की है।देश की आबादी में महिलाओं का घटता हिस्सा एक बड़ी चिंता का विषय है। वर्ष 2011 के जनसंख्या आंकड़ों से पता चलता था कि बच्चियों की उपेक्षा तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 1961 से बाल लिंग अनुपात (सीएसआर) में तेजी से गिरावट आ रही थी, जो 1961 में 976 से गिरकर 2001 में 927 और 2011 में 918 हो गई थी। इससे यह भी संकेत मिल रहे थे कि लड़कियां ज्यादा जी नहीं पातीं। सीएसआर की गिरावट से भी पता चलता है कि जन्म लेने से पहले ही भेदभाव शुरू हो जाता है। इस सोच के बदलने के लिए सरकारों ने उपरोक्त पहलें शुरू की हैं।श्री मोदी ने 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का शुभारंभ किया था। शुरूआत में यह योजना 2014-15 (चरण-1) के दौरान 100 जिलों में शुरू की गई और 2015-16 (चरण-2) में इसका अन्य 61 जिलों में विस्तार किया गया।सरकारी आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर जन्म के समय लैंगिक अनुपात 2014-15 के 918 से बढ़कर 2020-21 में 937 हो गया। इसी तरह माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों का पंजीकरण 2014-15 के 77.45 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 81.15 प्रतिशत रहा। पांच वर्ष आयु से कम आयु में कन्या मृत्यु दर 2014 के 45 से घटकर 2018 में 36 पर आ गयी तथा गर्भधारण के पहले तीन माह के दौरान प्रसव-पूर्व देखभाल के लिये पंजीकरण का प्रतिशत 2014-15 के 61 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 73.9 प्रतिशत पहुंच गया।