नई दिल्ली। ज्यादा देर तक टीवी देखने के नुकसान तो हमेशा से ही बताए जाते रहे हैं, लेकिन अब ब्रिटेन के साइंटिस्टों ने एक नई स्टडी में पाया है कि रोजाना ढाई घंटे के मुकाबले चार घंटे या उससे ज्यादा देर तक टीवी देखने से खून का थक्का बनने का खतरा 35 फीसद तक बढ़ जाता है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के रिसर्चर्स द्वारा की गई इस स्टडी में 40 साल व उससे ज्यादा उम्र के 1 लाख 31 हजार 421 लोगों को शामिल किया गया, जिन्हें वीटीआई की समस्या नहीं थी। स्टडी में टीवी देखने और वीटीआई यानी वेनस थ्रोंबेबोलिज्म के बीच के संबंधों को परखा गया। वीटीआई में पल्मोनरी इंबोलिज्म यानी फेफड़ों में ब्लड का थक्का और ब्रेन थ्रोंब्रोसिस शामिल होते हैं। वेन थ्रोंबोसिस में शिरा में खून का थक्का बनने (खास तौर पर पैंरों में) का खतरा होता है और ये फेफड़ों तक पहुंच सकता है, जिसके कारण पल्मोनरी इंबोलिज्म की आशंका पैद हो जाती है। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल से जुड़े इस स्टडी के प्रमुख राइटर डॉ सेटर कुनट्सर के अनुसार, हमारी स्टडी के निष्कर्षों ने ये भी सुझाया है कि शारीरिक रूप से एक्टिव रहने के बावजूद लंबे समय तक टीवी देखने के कारण खून का थक्का बनने के लिए खतरे को खत्म नहीं किया जा सकता। इसलिए, जब भी टीवी देखें तो बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें। आधे घंटे के अंतराल में खड़े हो जाएं और स्ट्रेचिंग करें। टीवी देखते समय जंक या फास्ट फूड आदि का सेवन कतई ना करें। शोधकर्ताओं ने लंबे समय तक टीवी देखने वाले बनाम कभी नहीं/शायद ही कभी टीवी देखने वालों में वीटीई विकसित करने के सापेक्ष जोखिम का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि कभी नहीं देखने वालों की तुलना में लंबे समय तक टीवी देखने वाले दर्शकों में वीटीई विकसित होने की संभावना 1.35 गुना अधिक थी।
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