नई दिल्ली । विश्व स्वास्थ्य संगठन से कोवैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद भारत ने कोवैक्सीन सर्टिफिकेट को ज्यादा से ज्यादा देशों में मान्यता दिलवाने के लिए कूटनीतिक पहल करना शुरू कर दिया है। इसके लिए उन देशों से बातचीत जारी है जहां परस्पर रूप से वैक्सीन सर्टिफिकेट को मान्यता दी जाएगी। इसके लिए विदेश मंत्रालय और विदेशों में स्थिति भारत के डिप्लोमैटिक मिशन लगातार अपने समकक्षों से संपर्क में हैं। , विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से भारत बायोटेक की बनाई कोवैक्सीन को मान्यता मिलने के बाद इन प्रयासों में तेजी आई है। इसके साथ ही कई देशों में कोवैक्सीन को मान्यता दिलवाने की कवायद भी जारी है। माना जा रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के फैसले के बाद कोवैक्सीन को मान्यता देने वाले देशों की संख्या बढ़ सकती है। ऑस्ट्रेलिया के अलावा, जिन देशों ने कोवैक्सीन को मान्यता दी है, उनमें मॉरिशियस, ओमान, फिलिपींस, नेपाल, मेक्सिको, ईरान, श्रीलंका, ग्रीस, एस्टोनिया और जिम्बाब्वे शामिल हैं। जिन यात्रियों ने कोवैक्सीन की दोनों डोज ले ली है, आठ नवंबर से अमेरिका भी उन्हें अपने देश में आने की इजाजत देगा। अमेरिका के नए यात्रा नियमों में फाइजर-बायोनटेक, जॉनसन एंड जॉनसन, मॉडर्ना, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका, कोविशील्ड, सिनोफ्राम और सिनोवैक वैक्सीन की दोनों डोज लेने वाले यात्रियों को भी स्वीकार किया गया है। अभी तक सात देशों, हंगरी, सर्बिया, एस्टोनिया, किर्गिस्तान, फिलीस्तीन, मॉरिशियस और मंगोलिया ने पारस्परिक रूप से वैक्सीन सर्टिफिकेट को मान्यता देने का फैसाल लिया है। बातचीत जारी रहने के बीच ऐसे देशों की संख्या बढ़ सकती है। अभी तक 20 से ज्यादा देशों ने पूरा टीकाकरण करा चुके भारतीयों को बिना क्वॉरंटीन एंट्री की इजाजत तो दी है लेकिन इनमें से अधिकतर में सिर्फ कोविशील्ड को मान्यता मिली है। हाल ही में संपन्न हुए जी-20 देशों के सम्मेलन में भारत ने कोविड-19 सर्टिफिकेटों को पारस्परिक रूप से मान्यता दिए जाने का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद वैश्विक नेताओं ने फैसला लिया था कि वे एक-दूसरे के कोरोना टीका प्रमाणपत्र को स्वीकार करते हुए फिर से अंतरराष्ट्रीय यात्रा शुरू करेंगे।
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