लालगंज, प्रतापगढ़। सांगीपुर ब्लाक मे बीती पचीस सितंबर को हुई हाई प्रोफाइल घटना मे हाईकोर्ट ने एक तरफ से दर्ज की गई छः एफआईआर पर आरोपियो की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। वहीं कोर्ट ने एक ही समय पर घटी एक ही घटना मे छः एफआईआर दर्ज करने को लेकर औचित्य पर भी गंभीर रूख अख्तियार किया है। सांगीपुर मे पचीस सितंबर को ब्लाक मुख्यालय पर हुए सरकारी कार्यक्रम के दौरान भाजपा तथा कांग्रेस समर्थकों मे भिडंत हो गयी थी। घटना को लेकर सांसद संगमलाल गुप्ता के सेक्रेटरी सुनील कुमार, देवेन्द्र प्रताप सिंह, अभिषेक कुमार मिश्रा, ओमप्रकाश पाण्डेय द्वारा पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी तथा क्षेत्रीय विधायक आराधना मिश्रा मोना समेत कांग्रेस समर्थकों के खिलाफ मारपीट व हमले की एफआईआर दर्ज करायी गयी। वहीं सांगीपुर के तत्कालीन कोतवाल तुषार दत्त त्यागी द्वारा भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के द्वारा अभद्रता की एफआईआर लिखाई गई। हालांकि कोतवाल तुषार दत्त त्यागी ने दर्ज कराये गये मुकदमें मे प्रमोद तिवारी तथा विधायक मोना की घटना मे किसी भी प्रकार की भूमिका नही दर्शायी। पुलिस ने इस मामले मे नौ आरोपियो को अज्ञात के रूप मे चिन्हित कर जेल भेज दिया। जबकि एक अन्य आरोपी को बाद मे गिरफ्तार किया गया। पुलिस द्वारा आरोपियो के यहां दबिश को लेकर चंद्रशेखर सिंह समेत कई अन्य ने पुलिस कार्रवाई को गलत ठहराते हुए हाईकोर्ट मे याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट मे मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय एवं न्यायमूर्ति श्रीमती सरोज यादव की डिवीजन बेंच ने एफआईआर दर्ज कराने वालो की मेडिकल रिर्पोट का भी अवलोकन किया। मेडिकल रिर्पोट मे साधारण चोटों को प्रदर्शित देख हाईकोर्ट ने इस पर पुलिस द्वारा धारा 307 लगाये जाने को लेकर खासी नाराजगी जताई। याचिका का विरोध कर रहे अधिवक्ता ने जब कोर्ट के सामने यह दलील दी कि घटना मे सांसद संगमलाल गुप्ता के कपड़े फट गये थे तो अदालत ने पूछा कि क्या सांसद जी के कपड़े फटने पर धारा 307 का मुकदमा होगा। कोर्ट ने पुलिस द्वारा साधारण चोटों पर 307 की धाराएं लगाये जाने पर गहरी नाराजगी जताई। वहीं डिवीजन बेंच ने सरकारी पक्ष से यह भी सवाल पूछा है कि वह बताए कि एक ही समय पर घटी एक ही घटना मे छः एफआईआर लिखाये जाने का क्या औचित्य है। हाईकोर्ट ने आरोपियो की गिरफ्तारी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए पुलिस की भूमिका पर भी कडी फटकार लगाई है। गिरफ्तारी पर रोक के आदेश का यहां हवाला देते हुए अधिवक्ता ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने बताया कि एफआईआर के खिलाफ दायर याचिका की बहस करते हुए हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीबी पाण्डेय तथा सहायक अधिवक्ता शैलेन्द्र कुमार ने घटना के सभी तथ्यों को प्रस्तुत किया। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के सांगीपुर घटनाचक्र को लेकर अख्तियार किये गये कड़े व गंभीर रूख तथा आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने के आदेश को लेकर बुधवार को यहां कांग्रेसी खेमे मे खुशी देखी गई।
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