प्रयागराज।फूलों के वंदनवारों, रंगोलियों, प्रज्ज्वलित कलशमालाओं के साथ दीप शृंखलाएं सजाकर बृहस्पतिवार को ज्योतिपर्व दिवाली पर तमसो मां ज्योतिर्गमय का संदेश दिया गया। संगमनगरी में त्रिवेणी तट पर दीपमालाओं की कतारें गंगा-यमुना की लहरों पर इतराईं तो शहर के तिराहों, चौराहों, ऊंची इमारतों की दीवारों से लेकर छतों-बारजों तक दीपों की लौ जगमगा उठी। सांझ होते ही एक तरफ ज्योतिपुंज की आभा से धरा प्रकाशित हो उठी तो दूसरी ओर आतिशी नजारों से आसमान सतरंगी आभा से जगमग हो गया।ज्योति पर्व दिवाली पर बृहस्पतिवार को संगमनगरी में त्रिवेणी तट से लेकर शहर तक घर-घर में दीपमालाओं की कतारें हर किसी का मन मोहती रहीं। तरह-तरह की रंगोलियां और कलश सजाकर द्वारों से लेकर घर-आंगन तक दीप जलाए गए। मंदिरों, भवनों और प्रतिष्ठानों को रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया। शाम होते ही घर-घर से बच्चे-महिलाएं दीप जलाकर देवस्थानों पर हाजिरी लगाने के लिए पहुंचने लगे। संगम पर दीप जलाने की होड़ मच गई।गंगा, यमुना और विलुप्त सरस्वती के तट पर मंगल कामना के दीप जलाकर लोग धन्य होते रहे। इसी तरह संगम गंगा आरती समिति परिसर में भी दीप शृंखला बनाकर आतिशबाजी की गई। अंधकार पर प्रकाश की जीत के ज्योति पर्व पर लोगों ने अपने घरों को रंग-बिरंगी झलरों से मोहक अंदाज में सजाया। वासीय परिसरों को सोसाइटी के पदाधिकारियों ने दीपों से और बी भव्यता प्रदान की। यहां समूहों में रंगोलियां बनाकर खुशी का इजहार किया जाता रहा। सिविल लाइंस, कटरा, चौक,लोकनाथ, मुट्ठीगंज, खुल्दाबाद, सुलेमसराय, धूमनगंज से लेकर शहर के हर कोने तक दिवाली की आभा छाई रही।कोविड प्रोटोकाल का लोगों के जेहन में कोई खौफ नजर नहीं आया। अपनी पसंद के पटाखे और मिठाई खरीदने वालों की भी जगह-जगह भीड़ लगी रही। लक्ष्मी, गणेश पूजन के बाद आतिशबाजी का सिलसिला शुरू हुआ तो आसमान सतरंगी नजर आने लगा। पटाखों की तड़तड़ाहट के साथ खुशियों के फव्वारे हर तरफ फूटने लगे। आधी रात के बाद तक यह सिलसिला चलता रहा।दिवाली पर बच्चों से लेकर बड़ों तक की खुशी देखते बनी। दीपदान के साथ ही आतिशबाजी की हर तरफ होड़ मची रही। चकरी, अनार, फुलझड़ी, तीन आवाजा, चार आवाजा, राकेट, आकाशदीप समेत तरह-तरह के पटाखों पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए गए। अंधाधुंध पटाखे फोड़े जाने से शहर के तमाम मोहल्लों में गहरी धुंध भी छाई रही।दिवाली पर इस बार सोशल मीडिया पर शुभकामना संदेश भेजने की होड़ मची रही। लोगों ने अपने मित्रों, रिश्तेदारों को दिवाली की शुभकामना भेजने के लिए फेसबुक, व्हाट्सएप, मैसेंजर, ट्विटर का खूब इस्तेमाल किया। दिवाली की शुभकामना के बाद लोगों ने लक्ष्मी-गणेश पूजन की तस्वीरें सबसे अधिक पोस्ट कीं। सोशल मीडिया पर लोग एक-दूसरे को तत्परता से बधाई संदेश को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भेजते रहे।इस बार दिवाली पर गोबर के दीये तमाम लोगों ने जलाए। स्वदेशी का जोर गोबर के दियो के जरिए साफ दिखा। दिवाली पर बाजारों में हर साल चीन के दीयों का दबदबा रहता था,लेकिन इस बार लोगों ने शंकरगढ़ की कान्हा गोशाला के अलावा अन्य गोशालाओं में बने गोबर क दीयों को तरजीह दी। लोगों ने गोबर के दीयों को अधिक तवज्जो दी। इसी तरह इस बार लोगों ने चीन के झालरों को भी महत्व नहीं दिया, बल्कि मेड इन इंडिया पर भरोसा किया।
Share on Facebook
Follow on Facebook
Add to Google+
Connect on Linked in
Subscribe by Email
Print This Post