पोप फ्रांसिस से मुलाकात कर पीएम मोदी ने साधे कई निशाने

नई दिल्ली । गोवा में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले पीएम मोदी की पोप फ्रांसिस से मुलाकात को राजनीतिक गलियारों में बेहद अहम माना जा रहा है। भाजपा केरल में भी अपना जनाधार बढ़ाने का प्रयास कर रही है। केरल में ईसाइयों के समर्थन के बगैर भाजपा एक मजबूत राजनीतिक शक्ति के रूप में नहीं उभर सकती। इसी वजह से पीएम मोदी ने इटली यात्रा के दौरान पोप से मुलाकात और उन्हें भारत आने के लिए आमंत्रित किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी की इस पहल के नतीजे भाजपा के पक्ष में जाएंगे।प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी अपनी इटली यात्रा के दौरान पोप से मुलाकात कर गोवा और केरल के ईसाई समुदाय में बड़ा संदेश दिया है कि वह धार्मिक असहिष्णुता की दिशा में आगे नहीं बढ़ रहे हैं। उनका मुकाबला धार्मिक कट्टरता से है, जिसका दंश किसी न किसी रूप में ईसाई राष्ट्र और समुदाय भी भोग रहा है। इस यात्रा से उन्होंने संदेश दिया है कि ईसाइयत और हिन्दुत्व के परस्पर सहयोग से ही विश्वकल्याण की नींव रखी जा सकती है। उनकी यह पहल अगले साल की शुरूआत में होने वाले गोवा विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। ईसाई समुदाय अगर भाजपा के समर्थन में आ गया तो भाजपा की राज्य में आसानी से सरकार बन सकती है। रोम यात्रा के दौरान पीएम मोदी का पोप से मिलना और उन्हें भारत आने के लिए आमंत्रित करना ईसाई समुदाय का दिल जीत सकता है, जिसकी भाजपा को गोवा और केरल में बेहद जरूरत है। पीएम मोदी ईसाइयों के धर्मगुरु पोप फ्रांसिस से मिलने जब वेटिकन सिटी पहुंचे तो उनके साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोभाल भी मौजूद थे। एनएसए की मौजूदगी से अनुमान लगाया जा सकता है कि इस मुलाकात के दौरान उन्होंने हाल के दिनों में बढ़ रही आतंकी घटनाओं और धार्मिक कट्टरता पर पोप फ्रांसिस का मार्गदर्शन मांगा होगा। इस मुद्दे पर पूरी दुनिया का ईसाई समुदाय भारत के साथ है और इसका असर गोवा और केरल के ईसाइयों पर भी पड़ता है, तो इन राज्यों में भाजपा के मंसूबों को आसानी से हकीकत में तब्दील किया जा सकता है। गोवा में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। गोवा की 40 विधानसभाओं में से 10 पर कैथोलिक समुदाय का दबदबा है। राज्य की कुल आबादी 28 फीसदी कैथोलिक हैं, जिसका ज्यादातर हिस्सा दक्षिणी गोवा में रहता है। रोमन कैथोलिक चर्च का केरल में भी अच्छा खासा प्रभाव है। केरल में 18.5 प्रतिशत ईसाइ हैं। केरल में भाजपा एक मजबूत ताकत के रूप में उभरने के लिए ईसाइयों का समर्थन पाना चाहती है। इससे पहले जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईसाई समुदाय के तीन मुख्य पादरियों से बातचीत की थी। बातचीत के दौरान उन्होंने ईसाई समुदाय से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की थी।