सीता हरण, शबरी मिलन और सुग्रीव मित्रता की लीला का हुआ मंचन

कौशाम्बी। करारी क़स्बे मे चल रही 13 दिवसीय रामलीला में नौवें दिन की लीला की शुरुआत में अपनी कटी हुई नाक लेकर शूर्पणखा अपने भाई खर और दूषण के वध बाद अपने भाई लंका पति रावण के पास जाती है। उन्हें अपने साथ हुए अत्याचार की दास्तां सुनाती है। जब रावण ने पूछा कि किसने तेरे नाक काटे है। वह बोली, अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र हैं। उनके साथ एक सुंदर स्त्री भी है। उन्हीं के छोटे भाई को मैंने जैसे ही तेरा नाम लिया, छूटते ही उसने दी गाली और नाक कान काट डाले। बहन के नाक कान काटने का बदला लेने के लिए रावण ने सीता माता का हरण करने की योजना बनाई। मामा मारीच को सोने का मृग बना पंचवटी पर भेजा। सोने के मृग ने राम लखन को छला। उधर भिक्षु का रूप धर रावण ने सीता माता को हरा पंचवटी पर राम लखन और सीता सुंदर वाटिका बनाकर रह रहे थे। लक्ष्मण वहां से जंगल में कंदमूल फल लेने के लिए चले गए। भगवान राम ने उस दौरान सीता से कहा कि अब मैं मनोहारी मनुष्य लीला करूंगा। जब तक मैं राक्षसों का नाश नहीं कर देता तब तक आप अग्नि में प्रवेश कर जाओ। उधर रावण अपने मामा मारीच को सोने का हिरण वन पंचवटी पर जाने को कहते हैं। सोने का हिरण का शिकार करने के लिए रामचंद्र जी वनों में निकल जाते हैं। पीछे से लक्ष्मण को भैया रामचंद्र की आवाज सुनाई देती है। वे भी भैया की रक्षा के लिए वनों में निकल जाते हैं। पीछे से रावण सीता का हरण कर ले जाते हैं।सीता हरण की लीला के बाद भगवान राम और सुग्रीव की मित्रता का मोहक संवाद प्रस्तुत किया गया। इससे पहले सीता हरण की लीला दिखाई गई। वन से जब राम और लक्ष्मण वापस पहुंचे तो देखा कि सीता जी वहां नहीं थी। व्याकुल राम और लक्ष्मण ने सीता को खूब ढूंढा, लेकिन नहीं मिलीं। रास्ते में उन्हें घायल जटायु मिला तो पता चला कि सीता जी का रावण अपहरण करके ले गया है। इसके बाद वे आगे चले और रास्ते में शबरी से मुलाकात हुई। शबरी के जूठे बेर खाने के बाद भगवान राम की सुग्रीव से मित्रता हुई। हनुमान जी का अवतार भी लीला में दिखाया गया। इस मौके पर कमेटी के अध्यक्ष संजय जायसवाल, पंकज शर्मा, मेला जुलूस प्रबंधक मूलचन्द जायसवाल, कोषाध्यक्ष पिंटू अग्रहरि,महामंत्री संजीत मोदनवाल(पिंटू),बच्चा कुशवाहा, ज्ञानू शर्मा,देवेश शर्मा,अंकुश गुप्ता,सज्जन जायसवाल, मनीष साहू आदि उपस्थित रहे।