न्यूयॉर्क | अमेरिका के एक्सपर्ट्स का कहना है कि माता-पिता को वीडियो शेयरिंग ऐप टिकटॉक से जुड़े खतरों पर सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि यह ऐप भी इंस्टाग्राम और फेसबुक की राह पर ही चल रहा है। टिकटॉक मनोरंजन के नाम पर समाज में जहर घोलने का काम कर रहा है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चेहरे बिगाड़कर शेयर करना और देशों के सम्मान व हितों को खतरे में डालने वाले टिकटॉक के कंटेंट जहर की तरह समाज में फैल रहे हैं।इसके अलावा इंटरमिटेंट फास्टिंग (खाने में 16 घंटे का गैप) के विज्ञापनों के जरिए किशोर लड़कियों को निशाना भी बनाया जा रहा है। ऐसा ही एक वीडियो 8.8 अरब से ज्यादा बार प्लेटफॉर्म पर देखा गया।रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका में अब बच्चे इंस्टाग्राम से ज्यादा टिकटॉक को तरजीह दे रहे हैं।4 से 15 साल के अमेरिकी बच्चों ने 2020 में फेसबुक पर रोजाना औसत 17 मिनट बिताए।2019 में यह औसत 19 मिनट था।वहीं इंस्टाग्राम पर औसत स्क्रीन टाइम 40 मिनट रहा।जबकि टिकटॉक पर यही वक्त रोजाना 44 मिनट से करीब दोगुना बढ़कर औसत 87 मिनट पर पहुंच गया। इंस्टिट्यूट ऑफ स्ट्रेटजिक डॉयलॉग (आईएसडी) की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना वैक्सीन को लेकर गलत सूचना और श्वेत लोगों का रुतबा बढ़ाने वाले कंटेंट की इस ऐप पर भरमार है।हालांकि, टिकटॉक ने कहा है कि वो इनसे जुड़े वीडियो के साथ चेतावनी जोड़ेगा। लेकिन एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इससे बहुत फायदा नहीं होगा।यूजर्स इतने समझदार हैं कि सेंसर किए गए शब्दों को दरकिनार करने के लिए हैशटेग में गलत स्पैलिंग लिख देते हैं।‘डायवियस लिक’ (स्कूलों में तोड़फोड़) चैलेंज वायरल करने के लिए यही तरीका अपनाया गया।ऐसे में स्कूलों में होने वाले नुकसान को रोका नहीं जा सका।आईएसडी ने टिकटॉक को सटीकता, स्थिरता और पारदर्शिता में पूरी तरह विफल पाया है।लड़कियों में बॉडी इमेज को लेकर नकारात्मक विचारों को फैलाने में यह इंस्टाग्राम को भी पीछे छोड़ रहा है।
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