इस्लामाबाद । पाकिस्तान इन दिनों चरमराती अर्थव्यवस्था से बदहाल है वहीं जनता महंगाई से बेहाल है, देश पर कर्जा बढ़ता ही जा रहा है और मदद के सारे रास्ते बंद होते नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान चौतरफा मुसीबतों से घिरे हुए हैं। बीते दिनों एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अपनी ‘ग्रे लिस्ट’ में बरकरार रखा। ऐसे में इमरान खान मदद और पैसे मांगने के लिए सऊदी अरब पहुंचे हैं। वैसे तो वह यहां एक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे लेकिन उनका मुख्य उद्देश्य निवेशकों और कारोबारियों को लुभाना है। इमरान खान 23 से 25 अक्टूबर तक सऊदी अरब का दौरा करेंगे। वह रियाद में मिडल ईस्ट ग्रीन इनीशियेटिव (एमजीआई) सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे तथा सऊदी नेताओं से बातचीत करेंगे। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के बयान के अनुसार शहजादे मोहम्मद बिन सलमान ने प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया है। बयान में कहा गया, प्रधानमंत्री के साथ विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और कैबिनेट के अन्य सदस्यों समेत एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल होगा।’एमजीआई सम्मेलन में इमरान खान जलवायु परिवर्तन के कारण विकासशील देशों के सामने आने वाली चुनौतियों पर अपना नजरिया साझा करेंगे और पर्यावरण संबंधी चुनौतियों के प्रकृति-आधारित समाधान के पाकिस्तान के अनुभवों को रेखांकित करेंगे। यह पश्चिम एशिया में आयोजित होने वाला इस तरह का पहला सम्मेलन होगा। इमरान खान पाकिस्तान में निवेश को बढ़ावा देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में भी शिरकत करेंगे तथा सऊदी अरब के प्रमुख कारोबारियों से बातचीत करेंगे। सऊदी अरब के दौरे से पाकिस्तान को काफी उम्मीदें हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दिवालियेपन की कगार पर है और ग्रे लिस्ट में रखे जाने पर उसकी इकॉनमी को और नुकसान होगा। इसकी वजह इंटरनेशनल मॉनिटरिंग फंड (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना मुश्किल होगा। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान का नाम सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले टॉप-10 देशों में शामिल हो गया है। जून के आंकड़ों के अनुसार अब तक इमरान सरकार 442 मिलियन डॉलर का कर्ज ले चुकी है।
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