बच्चों को बीमारी से बचाने का एक तरीका उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर किया जा सकता है।किसी की भी रोग प्रतिरोधक क्षमता का बेहतर होना बेहद जरूरी होता है। खासकर बच्चों का क्योंकि, बच्चे संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। ऐसे में रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने पर बीमारियों का असर जल्दी होता है, इसकी मुख्य वजह यह है कि शरीर कमजोर हो जाता है और हम जल्दी-जल्दी बीमार पड़ने लगते हैं।हालाँकि, कई विशेषज्ञों का यह मानना है कि अधिकतर बच्चो को जुकाम खांसी और बुखार की समस्या मौसम बदलने के कारण होती है, लेकिन अगर आप अपने बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा दें तो ऐसी संक्रमण वाली बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है। ऐसे में बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए यह तरीके अपनाएं।।बच्चे को स्तन पान कराएं- मां के दूध में प्रतिरोधी क्षमता मजबूत बनाने के सारे गुण मौजूद होते है। माँ का दूध बच्चों के लिए अमृत समान होता है, इतना ही नहीं यह बच्चों में संक्रमण, एलर्जी, दस्त, निमोनिया, दिमागी बुखार, और अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम के खिलाफ लड़ने के लिए भी मजबूत बनाता है। ऐसे में बच्चे को जन्म लेने के साथ-साथ ही स्तनों से बहने वाले गाढे पतले पीले दूध को कम से कम 2-3 महीने तक जरुर पिलाएं।बच्चे को हरी सब्जी खिलाएं- अपने बच्चे को खाने में गाजर, हरी बीन्स, संतरे, स्ट्रॉबेरी जैसे सभी को चीज़ों को शामिल करें, क्योंकि यह विटामिन सी और कैरोटीन युक्त होते हैं। जो आपके बच्चे की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। ऐसे में बच्चों को अधिक से अधिक फल और सब्जियों को उनके खाने में शामिल करें, ताकि बच्चे को संक्रमण से लड़ने में मदद मिल सके।बच्चे को भरपूर नींद लेने दें- बच्चों में नींद की कमी होने पर प्रतिरोधी क्षमता तो कमजोर होती ही साथ ही आपका बच्चा बीमारी का अधिक शिकार होने लगता है। जिससे कि नवजात में स्वास्थ्य मुश्किलें बढ़ जाती है। हालाँकि, नवजात बच्चों को एक दिन में 18 घंटे की नींद तो वही छोटे बच्चों को 12 से 13 घंटे की नींद की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा युवा बच्चे को रोजाना 10 घंटे की नींद लेनी चाहिए।धूम्रपान के धुएं से बचाएं- आपके घर में कोई सदस्य धूम्रपान करता है तो बच्चों की सेहत का ध्यान रखते हुए उसे छोड़ दें। सिगरेट के धुआं शरीर में कोशिकाओं को मार सकते हैं। इसके अलावा सिगरेट बीड़ी में कई अधिक विषाक्त पदार्थों शामिल होते है जो अतिसंवेदनशील बच्चों के रोग नियंत्रण शक्ति को प्रभावित कर इम्युनिटी को कमजोर करते है। बच्चों को कम से कम दवा दें- कई बार अभिभावक अपने बच्चों को लेकर अधिक सवेंदनशील हो जाते हैं। खासकर जब बच्चे को सर्दी, फ्लू या गले में हल्की खराश होने पर डॉक्टर को एंटीबायोटिक देने को कहते है। अधिकतर एंटीबायोटिक्स केवल बैक्टीरिया की वजह से होने वाली बीमारियों का इलाज करते हैं जबकि बचपन में अधिकतर बिमारियां वायरस के कारण होती हैं।संक्रमण के खतरों से बचाएँ- अपने बच्चे को बीमारियों से बचाने के लिए संक्रमण वाले जीवाणु से हमेशा बचा कर रखें। आप बच्चों को कीटाणुओं से बचाने के लिए बचपन से ही हाथ धोने के बाद ही हाथों को होठों के पास लाने और कुछ खाने के बारे में बताएं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमित, टूथब्रश आदि के साथ-साथ बच्चों के तौलिया रुमाल और खिलौनों की सफाई हमेशा समय-समय पर करते रहें।
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