कोरोना से जंग जीतने में मदद कर सकती है नेजल वैक्सीन

नई दिल्ली । भारत में आखिरकार कोरोना की दूसरी लहर में गिरावट दिख रही है और सरकार लोगों को टीका लगाने और उन्हें घातक वायरस की तीसरी लहर से बचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। इसी क्रम में टीकों का बड़े पैमाने पर उत्पादन और उन्हें जल्द से जल्द उपलब्ध कराने के प्रयास तेज किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा था कि देश में नेजल वैक्सीन (नाक से दी जाने वाली) बनाने पर शोध जारी है। उन्होंने कहा कि अगर यह शोध कामयाब हुआ तो टीकाकरण की मुहिम में और तेजी आएगी। आइए जानते हैं कि नेजल वैक्सीन क्या है और यह कैसे काम करती है। नेजल स्प्रे का लक्ष्य होता है कि वैक्सीन के डोज को सीधा सांस के रास्ते पहुंचाया जाए ताकि यह वैक्सीन सीधा उस जगह को अपना निशाना बनाए जहां से कोविड-19 इंफेक्शन शरीर को अपने चपेट में लेना शुरू किया था। कोरोना के ज्यादातर मामलों में यह देखने को मिला है कि वायरस म्यूकोसा के माध्यम से शरीर मे प्रवेश करता है और म्यूकोसल मेमब्रेन में मौजूद कोशिकाओं और अणुओं को संक्रमित करता है। ऐसे में हम अगर नाक के माध्यम से वैक्सीन देंगे तो यह काफी प्रभावी हो सकती है। इसीलिए दुनिया भर में नेजल यानी नाक के जरिए भी इस वैक्सीन को देने के विकल्प के बारे में सोचा जा रहा है और इस पर शोध चल रहा है। कनाडा की कंपनी सैनोटाइज ने दावा किया है कि उसने ऐसा नेजल स्प्रे बनाया है जो 99.99 फीसदी कोरोना वायरस को खत्म कर देता है। इस कंपनी का दावा है कि यह स्प्रे कोरोना से बीमार लोगों को जल्दी ठीक कर देगा। कंपनी ने कहा कि उनका नाक में डालने वाला स्प्रे हवा में ही कोरोना वायरस को खत्म करना शुरू कर देता है। इस नाइट्रिक ऑक्साइड नेजल स्प्रे को मरीजों को खुद अपनी नाक में डालना होता है। यह नाक में वायरल लोड को कम कर देता है.।इससे न तो वायरस पनप पाता है और न ही फेफड़ों में जाकर नुकसान पहुंचा पाता है। इस नेजल स्प्रे का परीक्षण अमेरिका और ब्रिटेन में सफल रहा है। सैनोटाइज का दावा है कि नेजल स्प्रे ने 24 घंटे के भीतर वायरल लोड को 95 फीसदी घटाकर कम कर दिया। इतना ही नहीं 72 घंटों में 99 फीसदी वायरल लोड कम हो गया। पुणे की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और अमेरिकी कंपनी कोडाजेनिक्स मिलकर नाक से दी जाने वाली वैक्सीन बना रही हैं। वैक्सीन कैंडिडेट ने जानवरों पर अपना प्री क्लिनिकल ट्रायल पूरा कर लिया है। वर्तमान में इसका पहले चरण का परीक्षण चल रहा है। कोडाजेनिक्स के अनुसार कोवी वैक ने प्री-क्लिनिकल स्टडी में सेफ और इफेक्टिवनेस दिखाई है।