प्रतापगढ़ । जिले के ऐतिहासिक धरोहर मे चौक घंटाघर इस बार प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हो गया। चौक घन्टाघर की सजावट के लिए नगर पालिका बैकफुट पर है। रविवार की रात जिले का ऐतिहासिक भरत मिलाप का आयोजन होगा। शनिवार तक चौक इमारत की पेंटिंग व सजावट नहीं हो सकी है। आदेश में नगर पालिका ने जिम्मा लिया था, लेकिन अचानक सजावट से कदम पीछे कर लिया। रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों में नाराजगी, जिम्मेदार अधिकारी मौन धारण किए हुए हैं। मुख्यालय का सिरमौर घण्टाघर दशकों से दशहरे से लेकर भरत मिलाप तक भव्य रूप से लाईटों,फूल मालाओं से सजाया जाता था। इसी भव्य रूप के देखने के लिये आसपास के जिले के लोग चौक घंटाघर की भव्यता को देखने आते थे। चौक घंटाघर पर ही भरत मिलाप के दिन सुबह भोर के समय भगवान श्री राम और भरत का मिलाप होता था। लेकिन इस बार दशहरे के दिन चौक घंटाघर वीरान पडा रहा। जिला प्रशासन के किसी भी सदस्य की नजर इस पर नहीं गयी। जबकि इसी चौक घंटाघर से होते हुये जिलाधिकारी और अन्य गणमान्य लोग रावण दहन के लिये गुजरे होंगे। जबकि चौक घंटाघर की सजावट के लिये नगर पालिका अधिशाषी अधिकारी का आदेश भी था कि इसकी रंगाई,पुताई, साज सज्जा किया जाये। लेकिन नगर से जुडे मातहतों ने इस आदेश को दरकिनार कर दिया। जिससे ऐतिहासिक चौक घंटाघर दशहरे के दिन वीरान खंडहर की तरह पडा रहा। रावण दहन देखने वाले स्थानीय लोगों के बीच भी इस बार चौक घंटाघर पर साज-सज्जा न होना एक चर्चा का विषय बना रहा। कोरोनाकाल मे बीते वर्ष भरत मिलाप नहीं हो पाया था। जब इस ऐतिहासिक चौक घंटाघर की साज-सज्जा का आदेश था तो क्यों आदेश का पालन नहीं किया गया। इसकी जिम्मेदारी निश्चित रूप से तय की जानी चाहिए।नगरवासियों में इस बात को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। प्रशासन की उदासीनता से लोगों के मन में एक टीस जरूर है।
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