हाईटेक जमाने में आजकल बच्चे भी इंटरनेट पर सक्रिय रहते है। इस दौरान कब वे साइबर बुलीइंग के खतरनाक रूप से शिकार हो जाते हैं पता ही नहीं चलता।बुलीइंग का मतलब तंग करना है। इतना तंग करना कि पीड़ित का मानिसक संतुलन बिगड़ जाए। बुलीइंग पीड़ित को मानसिक, इमोशनल और दिमागी रूप से प्रभावित करती है। बुलीइंग जब इंटरनेट के जरिए होता है तो इसे साइबर बुलीइंग कहते हैं। देश की राजधानी में ही 17 प्रतिशत बच्चे इसका शिकार पाए गए हैं। एक अध्ययन में पता चला है कि यह बुलीइंग केवल ऑनलाइन नहीं रही है। इस अध्ययन में पाया गया कि 15 प्रतिशत बच्चे शारीरिक तौर पर भी बुलीइंग के शिकार हो रहे हैं। इसमें मारपीट की धमकी देकर डराया गया था।अभिभावक रहें सतर्क रिसर्च करने वाले डॉक्टर का कहना है कि बच्चे को अब स्मार्ट फोन और इंटरनेट के उपयोग से रोक पाना तो मुश्किल है, लेकिन अभिभावकों की भूमिका जरुर बढ़ गयी है। उन्हें अपने बच्चों के व्यवहार पर नजर रखनी होगी। उन्हें बच्चे पर नजर रखनी होगी कि उनकी नींद कैसी है। खानपान में दिलचस्पी, चिड़चिड़ापन, रिश्तेदारों से मिलने से कतराना और अकेले रहने के लक्षण किसी प्रकार के तनाव की वजह हो सकते हैं। शिक्षकों को भी देखना चाहिए कि बच्चों का व्यवहार अचानक तो नहीं बदल रहा।
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