नयी दिल्ली | रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में महिलाओं की भागीदारी जरूरी है और उनके बिना इसे नहीं जीता जा सकता।पाकिस्तान और चीन का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि ‘नॉन स्टेट एक्टर्स’ और ‘गैर जिम्मेदाराना देश” आतंकवाद का हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।श्री सिंह ने गुरूवार को यहां रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित शंघाई सहयोग संघ (एससीओ) के एक वेबिनार में सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की भूमिका पर बाेलते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में महिलाओं की भूमिका जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई क्षेत्र या किसी देश की केवल आधी आबादी यानी पुरुषों के द्वारा ही नहीं जीती जा सकती इसमें महिलाओं की भागीदारी जरूरी है। उन्होंने कहा, “ एस सी ओ देशों के सभी नागरिकों को आतंकवाद के साझा खतरे से मिलकर निपटना होगा और महिलाएं भी सशस्त्र सेनाओं में तथा उससे बाहर भी दोनों जगह इसमें समान योगदान देंगी। ”रक्षा मंत्री ने कहा कि सुरक्षा की अवधारणा में आमूलचूल बदलाव आया है। युद्ध के स्वरूप बदलने के कारण यह खतरा हमारी सीमाओं से लेकर समाज के भीतर तक पहुंच गया है। आतंकवाद इसका सबसे खतरनाक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि ‘नॉन स्टेट एक्टर्स ’और ‘गैर जिम्मेदाराना देश’ राजनीतिक हितों के लिए आतंकवाद का हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन शंघाई सहयोग संगठन ने हमेशा हर तरह के आतंकवाद को पूरी तरह से खारिज किया है। श्री सिंह के इस बयान को अफगानिस्तान के घटनाक्रम तथा इस दौरान पाकिस्तान तथा चीन की भूमिका से जोड़कर देखा जा रहा है।सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की भागीदारी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का समृद्ध प्राचीन साहित्य इसका गवाह है। प्राचीन साहित्य में महिलाओं की इस क्षेत्र में भागीदारी के उदाहरण मिलते हैं जहां सरस्वती ज्ञान की देवी रही हैं वही दुर्गा सुरक्षा , ताकत और युद्ध से जुड़ी रही हैं। महिलाओं की पालन पोषण और संरक्षण की परंपरा सदियों से चली आ रही है। उन्होंने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका का भी उल्लेख किया।उन्होंने कहा कि भारत ने सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की भूमिका को काफी पहले पहचान लिया था और उन्हें वर्ष 1992 से ही सेना में कमीशन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को मिले मौकों का ही परिणाम है कि आज सेना में महिलाएं लेफ्टिनेंट जनरल के स्तर तक पहुंच गई हैं और अगले वर्ष से देश की राष्ट्रीय रक्षा अकादमी एनडीए के दरवाजे भी महिलाओं के लिए खोल दिए गए हैं।
Share on Facebook
Follow on Facebook
Add to Google+
Connect on Linked in
Subscribe by Email
Print This Post