साओ पाओलो । फुटबॉल के लिए प्रसिद्ध ब्राज़ील महामारी कोरोना के कहर से तबाह हो गया। घातक वायरस की मार के बाद अब जिंदगी फिर से धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। साओ पाओलो के ‘बार’ में अब लोगों की भारी भीड़ है। उधर रियो डी जेनेरियो के ‘बीच’ पर भी चहल-पहल लौट आई है। इस बीच ब्राजील में कोरोना से मौत का आंकड़ा 6 लाख को पार कर गया। लेकिन कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट से यहां कोरोना की एक और लहर आ सकती है। इस वक्त ब्राजील में कोरोना से औसतन हर रोज 500 लोगों की मौत हो रही है। जबकि इस साल अप्रैल में ये आंकड़ा 3000 पर था। लगभग 45 फीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज़ लग गई है। बुजुर्गों को बूस्टर डोज़ दिया जा रहा है। एक ऑनलाइन रिसर्च साइट आवर वर्ल्ड इन डेटा के अनुसार, अमेरिकियों या जर्मनों की तुलना में ब्राजील के लोगों का एक बड़ा प्रतिशत कम से कम आंशिक रूप से टीका लगा चुके हैं।कोरोना से हुई मौत के अब तक के आंकड़ों पर नज़र डालें तो अमेरिका में सबसे ज्यादा 7 लाख 32 हज़ार से ज्यादा लोगों की जान गई है। इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर ब्राज़ील है। यहां मौत का आंकड़ा 6 लाख को पार कर गया है। तीसरे नंबर पर भारत की बारी आती है। यहां अब तक साढ़े चार लाख से ज़्यादा लोगों की मौत कोरोना से हो गई है। चौथे नंबर पर मेक्सिको है और फिर रूस की बारी आती है। साओ पाउलो विश्वविद्यालय में सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रोफेसर गोंजालो वेसीना ने जुलाई में एसोसिएटेड प्रेस को बताया था कि डेल्टा वेरिएंट से खतरा बरकरार है। उनके मुताबिक अगर लोगों ने कोरोना प्रोटोकॉल को ठीक से फॉलो नहीं किया तो तो कोरोना विस्फोट हो सकता है। अब, वेसीना का मानना है कि इस साल की शुरुआत में गामा वेरिएंट ने डेल्टा की रफ्तार को थोड़ा धीमा कर दिया है।
Share on Facebook
Follow on Facebook
Add to Google+
Connect on Linked in
Subscribe by Email
Print This Post