अगर आप भी नौकरी बदलने के बारे में सोच रहे हैं या किसी नई जगह नौकरी करना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें, ताकि आगे किसी तरह की कोई परेशानी न हो। ज्वाइनिंग के वक्त की सारी फॉर्मेलिटी ध्यान से पूरी करें। अगर कोई दिक्कत आ रही है, तो अपने एचआर से सलाह लें। आइए, जानते हैं इन बातों के बारे में जो ज्वाइनिंग से पहले जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।
ऑफर लेटर
जब भी आप किसी नई कंपनी में ज्वाइन करते है तो कंपनी की तरफ से आपको ऑफर लेटर दिया जाता है, जिसमें आपकी सैलरी की सारी डिटेल रहती हैं। कई मौकों पर लोग जल्दबाजी में ऑफर स्वीकार कर लेते हैं, जिससे बचना चाहिए। ऑफर लेटर को ध्यान से पढ़कर उसे स्वीकार करना चाहिए। साथ ही, नई कंपनी ज्वाइन करते वक्त आपसे पुराना ऑफर लेटर मांगा जाता है। इसलिए कंपनी से ऑफर लेटर की हार्ड कॉपी भी लेना चाहिए।
प्रोबेशन पीरियड
सभी तरह की सरकारी और प्राइवेट कंपनियों में कर्मचारी को पहले प्रोबेशन पीरियड से गुजरना होता है। यह एक तरह से आपके काम के आंकलन का दौर होता है। इस दौरान गलतियां न करें, क्योंकि इस दौरान कर्मचारी के खिलाफ कंपनी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होती है। कई मौकों पर आपकी नौकरी भी जा सकती है।
नोटिस पीरियड
जॉब छोड़ने से पहले आपको कंपनी को नौकरी छोड़ने के बारे में सूचित करना होता है, ताकि वह अपने काम के लिए नए कर्मचारी की तलाश कर ले। इसलिए पहले से ही अपने नोटिस पीरियड के बारे में जान लें, क्योंकि नौकरी छोड़ते वक्त आपको नोटिस पीरियड पूरा करना होता है। विभिन्न कंपनियों में अलग-अलग नोटिस पीरियड होता है। ज्यादातर कंपनियों में यह एक से तीन महीने का होता है।
मेडिकल इन्श्योरेंस
लेबर कानून के तहत कंपनियों की तरफ से कर्मचारी को मेडिकल इन्श्योरेंस की सुविधा मिलती है, जिसका प्रीमियम आपकी सैलरी से डिडक्ट किया जाता है। इसके अंतर्गत किसी बीमारी की चपेट में आने पर आपको और आपकी फैमिली को मेडिकल कवर मिलता है।
लीव व अटेंडेंस
कोई कंपनी ज्वाइन करते वक्त वहां मिलने वाले वीक-ऑफ और अटेंडेंस या फिर शिफ्ट को लेकर बातचीत कर लेनी चाहिए। इसमें पेड लीव, कैजुअल लीव, मेडिकल लीव, फेस्टिवल लीव शामिल होती हैं। इसके अलावा, अपने ऑफिस टाइमिंग के बारे में पता कर लेना चाहिए।
पीएफ
लेबर कानून के तहत 10 से ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनियों को अपने कर्मचारी को (कर्मचारी भविष्य निधि) देना होता है। इसके तहत कर्मचारी की सैलरी का कुछ हिस्सा उसकी सैलरी से डिडक्ट किया जाता है, जबकि उतना ही हिस्सा कंपनी की ओर से डाला जाता है। इसे आप रिटायरमेंट के बाद निकाल सकते हैं। हालांकि, कुछ जरूरी कार्यों के लिए भी इसे निकाला जा सकता है। इसके बारे में कंपनी से जानकारी ले लें।
पे-रोल
आजकल कई कंपनियां लोगों को अनुबंध पर रखती हैं। मतलब उन्हें पे-रोल पर नहीं रखा जाता है। इस स्थिति में कंपनी कर्मचारी को पीएफ, मेडिकल इन्श्योरेंस जैसी सुविधाएं देने से बच जाती हैं। इसलिए नौकरी ज्वाइन करते वक्त पे-रोल को लेकर एचआर से बातचीत कर लेनी चाहिए।
ग्रैच्युटी
लेबर मंत्रालय के कानून के तहत कंपनी को अपने कर्मचारी को एक साल में 15 दिन का वेतन ग्रैच्युटी के तौर पर देना होता है। हालांकि, इसके लिए आपको एक कंपनी में 5 साल लगातार काम करना होगा।