प्रयागराज। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि की संदिग्ध मृत्यु के मामले की तीन दिन से जांच कर रही सीबीआइ पर भी लोगों को संदेह है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में मंगलवार को याचिका दाखिल कर सीबीआइ जांच हाई कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की गई है।इलाहाबाद हाई कोर्ट में महंत की मृत्यु के मामले की जांच की न्यायिक मॉनिटरिंग के लिए याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि सीबीआई जांच का नतीजा जो भी होगा, उस पर कुछ लोग यकीन नहीं कर पाएंगे और उस पर सवाल खड़े करेंगे। ऐसे में हाईकोर्ट की निगरानी में यह जांच होती है तो महंत नरेन्द्र गिरि के अनुयायियों का इस जांच पर भरोसा बना रहेगा। प्रयागराज में सोशल एक्टिविस्ट और वकील सहर नकवी ने मंगलवार को हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका दाखिल की है। हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस और रजिस्ट्रार जनरल को एक ई-मेल के जरिए लेटर पिटिशन भेजकर मामले में दखल करने की मांग की गई। इस पत्र याचिका में महंत नरेन्द्र गिरि की संदिग्ध मामले की हो रही सीबीआई जांच की निगरानी हाईकोर्ट से करने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि महंत नरेन्द्र गिरि और उनके अखाड़े के अनुयायी हैं और लाखों लोगों की आस्था महंत नरेन्द्र गिरि के साथ जुड़ी हुई है। इसकी जांच कर रही देश की सबसे बड़ी एजेंसी सीबीआई की जांच पर ज्यादातर लोगों को भरोसा है, लेकिन कुछ लोगों के मन में जांच को लेकर आशंका भी है।याचिका में कहा गया है कि जनता अदालतों पर सिर्फ भरोसा ही नहीं करती बल्कि न्याय के मंदिरों में उसकी आस्था भी है। महंत के केस में सीबीआई जांच का नतीजा जो भी होगा, उस पर कुछ लोग यकीन नहीं कर पाएंगे और उस पर सवाल खड़े करेंगे। ऐसे में हाईकोर्ट अगर अपनी निगरानी में सीबीआई से जांच कराएगा और समय-समय पर उससे प्रोग्रेस रिपोर्ट मांग कर दिशा निर्देश देता रहेगा तो जांच रिपोर्ट पर किसी को कोई शक नहीं होगा। लाखों लोगों की भावनाओं को कोई ठेस नहीं पहुंचेगी। हाईकोर्ट की महिला वकील सहर नकवी की लेटर पिटिशन यानी पत्र याचिका में जांच एजेंसी सीबीआई और यूपी सरकार के गृह विभाग को पक्षकार बनाया गया है।सोमवार की रात को ही हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस और रजिस्ट्रार जनरल को ई-मेल के जरिए यह लेटर पिटिशन भेजी जा चुकी है। याचिका अगर मंजूर हुई तो हाईकोर्ट इस मामले में अगले दो दिनों में फैसला ले सकता है। इस मामले में जारी जांच से संबंधित कोर्ट में दाखिल की गई पहली इस तरह की अर्जी है।
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