छोटे बच्चों की प्रतिरोधक क्ष्मता बड़ों की तरह पूरी तरह विकसित नहीं होती। इस वजह से यदि उनको बिमारियों से नहीं बचाया जाये तो उनका शरीर आसानी से किसी भी बीमारी से ग्रसित हो सकता है। लेकिन भारतीय सभ्यता में बहुत प्रकार के घरेलू नुस्खें हैं जिनका इस्तेमाल कर के बच्चों को बिमारियों से बचाया जा सकता है, विशेष करके बदलते मौसम में होने वाले बिमारियों से, जैसे की सर्दी।
सर्दी और खांसी से बच्चों को परेशान देखना किसी भी माँ बाप के लिए बेहद तकलीफ बात है। सर्दी की वजह से अगर बच्चे का नाक बंद है तो वह रोयेगा। सर्दी जुकाम एक आम बीमारी यह। यह कोई चिंता का विषय नहीं है। ना ही यह कोई गंभीर बीमारी है। शिशु विशेषज्ञों के अनुसार बच्चे प्रथम दो सालों में औसतन 8 से 10 बार सर्दी जुकाम से ग्रसित होते हैं।सर्दी जुकाम के विषाणु हाथ से हाथ के संपर्क से फैलते हैं और सर्दी जुकाम से ग्रसित व्यक्ति के छींकने से हवा के द्वारा भी फैलते हैं। सर्दी जुकाम के लक्षण,101 तक बुखार चढ़ना,गले में खराश,आखें लाला होना, बंद नाक या बहती नाक,भूख न लगना,
गर्दन में सूजन, कान में दर्द,खांसी, चिड़चिड़ापन और बेचैनी। इसमें सर्दी से बचाव ही सबसे बेहतरीन इलाज है। कुछ चीज़ों का अगर आप ख्याल रखें तो आप अपने बच्चे को सर्दी जुकाम से बचा सकती हैं।