सोमनाथ | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि ऐसे समय में जब पूरा विश्व आतंकी विचारधारा को लेकर आशंकित है, सोमनाथ मंदिर का इतिहास दुनिया को इस बात का संदेश देता है कि आस्था को आतंक और सत्य को असत्य से स्थायी तौर पर पराजित नहीं किया जा सकता।श्री मोदी ने अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े के हिंसक प्रयासों की ओर संकेत करते हुए कहा कि आज जब विश्व ऐसी विचारधाराओं से आशंकित हैं तब दुनिया में कोई भी व्यक्ति सोमनाथ मंदिर की भव्य संरचना को देखता है तो केवल एक मंदिर नहीं दिखता। यह सैकड़ों हज़ारों साल से मानवता के मूल्यों की घोषणा का स्थल बना है। आज भी पूरे विश्व के सामने इससे यह संदेश जाता है कि सत्य को असत्य और आस्था को आतंक से पराजित नहीं किया जा सकता। इसे सैकड़ों बार तोड़ा गया, इसका अस्तित्व मिटाने की कोशिश की गयी पर जितनी बार गिराया गया उतनी बार यह उठ खड़ा हो गया। यह पूरे विश्व के लिए ऐसा विश्वास देता है कि आतंकी शक्तियां कुछ समय के लिए हावी हो सकती हैं, वे ज़्यादा समय तक लोगों को दबा कर नहीं रख सकती है।श्री मोदी नयी दिल्ली से आभासी माध्यम से अपने गृह राज्य गुजरात में सोमनाथ मंदिर के निकट पार्वती मंदिर के ई शिलान्यास, मंदिर से लेकर त्रिवेणी संगम तक डेढ़ किमी लम्बे समुद्र दर्शन वॉक वे (प्रोमेनेड) और सोमनाथ प्रदर्शनी गैलरी जिसमें खंडित अवशेषों को भी रखा गया है तथा इंदौर की रानी अहिल्याबाई होलकर की ओर से 1783 में बनाए गए पुराने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्मित परिसर के ई लोकार्पण के मौक़े पर बोल रहे रहे थे। इन चार परियोजनाओं की लागत 80 करोड़ रुपए से अधिक है। श्री मोदी सोमनाथ मंदिर का संचालन करने वाले ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं। इस मौक़े पर ट्रस्ट के दो अन्य सदस्य गृह मंत्री अमित शाह तथा वयोवृद्ध भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी भी आभासी तौर पर तथा गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी प्रत्यक्ष तौर पर उपस्थित थे।श्री मोदी ने कहा हमें इतिहास से सीख लेकर वर्तमान को सुधारने की भी सोच रखनी चाहिए। उन्होंने देश भर में फैले तीर्थ स्थलों को भारत की विविधता में एकता का वाहक बताते हुए कहा कि आज राम मंदिर के रूप में भारत के लिए एक और गौरव की वस्तु मिल रही है। इस मौक़े पर उन्होंने 1950 में सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार में प्रमुख भूमिका निभाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल, प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और राजनेता सह साहित्यकार के एम मुंशी को भी याद किया। उन्होंने कहा कि स्थानीय अर्थव्यवस्था से तीर्थ स्थलों के नाते को भी मज़बूत किया जाना चाहिए।श्री मोदी ने कहा कि लोगों को आश्चर्य है कि इतनी विविधताओं वाला भारत एक कैसे है। आस्था के केंद्रो ने एकता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इसे मजबूत रखना चाहिए। आज दुनिया योग और भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित है और नयी पीडी में भी जड़ो से जुड़ने की जागरूकता आयी है।
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