नयी दिल्ली | पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(संप्रग) सरकार द्वारा वर्ष 2013-14 में तेल की कीमतों को कम करने के उद्देश्य से जारी किये गये तेल बौंड का भुगतान मोदी सरकार कर रही है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में अब तक 60205.67 करोड़ रुपये सिर्फ ब्याज में अदा किये जा चुके हैं। इसके मद्देनजर तत्काल तेल की कीमतों में कमी की उम्मीद नहीं की सकती है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मार्च 2021 तक तेल बौंड का 130923.17 करोड़ रुपये मूलधन बकाया था और वर्ष 2025-26 तक इसका ब्याज के साथ भुगतान करना है। अभी हर वर्ष करीब दस हजार करोड़ रुपये सिर्फ ब्याज के रूप में चुकाना पड़ रहा है और मूलधन भी देना पड़ रहा है। अब तक मोदी सरकार ने सिर्फ ब्याज के रूप में 60205.67 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है।उन्होंने कहा कि तत्कालीन संप्रग सरकार ने तेल की कीमतों में कमी लाने के लिए यह तेल बौंड जारी किया था और इसका भार तेल विपणन कंपनियों पर डाल दिया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 में 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान एक वर्ष में करना होगा।तेल पर शुल्कों में कमी किये जाने से संबंधित एक सवाल पर उन्होंने कहा कि यह एक जटिल मुद्दा है और इसको पेट्रोलियम मंत्रालय देख रहा है। संप्रग सरकार की तरह मोदी सरकार आने वाली सरकार पर बोझ डालकर वाहवाही नहीं बटोरना चाहती है। संप्रग सरकार के बोझ को मोदी सरकार ढो रही है और चुका रही है। उस समय सरकार ने तेल बौंड से राशि उधारी लेकर तेल की कीमतें कम कर दी थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में इसको लेकर श्वेत पत्र भी जारी किया गया था।कुछ राज्यों द्वारा पेट्रोल डीजल पर वैट आदि में कमी किये जाने के बारे पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने राज्य में चुनाव से पहले ऐसा किया था। पहले सात रुपये प्रति लीटर बढ़ाया गया और बाद में तीन रुपये कम कर दिया गया है।
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