लखनऊ। उत्तरप्रदेश की योगी सरकार के चुनाव के करीब आते ही हाथ पांव फूलने लगे हैं। अभी तक योगी सरकार अपने द्वारा कराए विकास कार्यों का ढिंढोरा पीट रही थी, लेकिन जैसे ही विपक्ष ने सरकार को आईना दिखाया,तब सरकार ने तुरंत ही अपने अधिकारियों की टीम को शहर से लेकर गांव-देहात की ओर रवाना कर दिया है। मकसद साफ है जो काम सरकार ने कराए हैं,उसकी जमीनी हकीकत क्या है।यह जानने की कवायद हो रही है। कहीं ऐसा ना हो हो की अति आत्मविश्वास में योगी सरकार का भी वहीं हाल न हो जाए जैसा कभी ‘इंडिया शाइनिंग, का हुआ था। उस समय केंद्र की अटल सरकार इंडिया शाइनिंग के नारे के साथ लोकसभा चुनाव में उतरी थी लेकिन इंडिया शाइनिंग का नारा चारों खाने चित हो गया था और अटल सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा था।इसकारण योगी केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से संचालित योजनाओं का कितना लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रहा है, इसका सत्यापन प्रशासनिक अधिकारी नियमित रूप से कराने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने स्वयं निरीक्षण शुरू करने के साथ ही वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया है।यह अधिकारी 14 अगस्त से लेकर 25 सितंबर तक विभिन्न ब्लाकों के अलग-अलग गांवों में जाकर विकास के काम का निरीक्षण और योजनाओं के क्रियान्वयन की सत्यापन करते हुए उसकी हकीकत जानने वाले है। शहर क्षेत्र में भी अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी। निरीक्षण के बाद इन अधिकारियों को जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंपनी होगी। जिन योजनाओं का क्रियान्वयन और सत्यापन होना है।उसमें ग्राम पंचायत में संचालित प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, संपूर्ण स्वच्छता अभियान, ग्रामीण आजीविका मिशन, स्वच्छ पेयजल, पशु टीकाकरण, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा, आंगनवाड़ी केंद्र, प्राथमिक विद्यालय, वृद्धावस्था/दिव्यांगजन/विधवा पेंशन, किसान सम्मान निधि, पंचायत भवन, सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा, मनरेगा द्वारा हुए कार्य आदि शामिल है।सभी जिलाधिकारियों ने अपने अधीन एसडीएम को निर्देश दिया है कि वे संपूर्ण समाधान दिवस एवं समाधान दिवस के बाद तहसील के किसी एक ग्राम पंचायत का निरीक्षण करें और योजनाओं के क्रियान्वयन का सत्यापन करें। सभी एसडीएम को निरीक्षण का शेड्यूल जारी करने को भी कहा गया है।
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