टोक्यो । वैज्ञानिकों को लंबे वक्त से इस सवाल ने उलझाकर रखा है कि सूरज से बृहस्पति की जितनी दूरी है, उस हिसाब से इसका तापमान 72 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए था लेकिन असल में 425 डिग्री सेल्सियस है। आखिर ऐसा क्यों है? अब इसका सवाल मिलता दिख रहा है और वह भी इसके खूबसूरत ऑरोरा में। अमेरिकी स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर यूनिवर्सिटी ऑफ लेस्टा के वैज्ञानिकों ने बृहस्पति के हीट मैप तैयार किए और पाया कि अरोरा के कारण इस विशाल ग्रह पर तापमान इतना ज्यादा है जबकि ये सिर्फ 10 फीसदी हिस्से पर फैले हैं। बृहस्पति के ज्वालामुखियों से भरे चांद से निकलने वाले चार्ज्ड पार्टिकल अल्ट्रावॉइलट ऑरोरा बनाते हैं।बृहस्पति के वायुमंडल के पहले के मॉडल से पता लगता है कि ऑरोरा से ईक्वेटर की ओर चलने वाली हवाएं, बृहस्पति के एक दिन में 43 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से घूमने पर ये पश्चिम की ओर मुड़ जाती हैं। इस ऑरोरा की गर्मी ध्रुवों से निकल नहीं पाती। हालांकि, नई स्टडी में पाया गया है कि असल में इससे कुछ अलग बृहस्पति पर चल रहा है। जापान की जेएएक्सए स्पेस एजेंसी के रिसर्चर और स्टडी के लेखक के मुताबिक डॉ. जेम्स डोनोग का कहना है कि पहले बृहस्पति के ऊपरी वायुमंडल का ग्लोबल हीट मैप तैयार किया गया। केक टेलिस्कोप की मदद से डीटेल में तापमान के मैप तैयार किए गए। इसमें पता चला कि ऑरोरा के अंदर तापमान बहुत ज्यादा होता है और पहली बार पाया गया कि इन्हीं की वजह से ग्रह गर्म हो रहा है। स्टडी के सह-लेखक टॉम स्टलार्ड के मुताबिक ऑरोरा से दूर एक क्षेत्र देखा गया जो पहले कभी नहीं देखा गया है। माना जा रहा है कि यह ऑरोरा से ईक्वेटर की ओर जाने वाली हवा का कॉलम है।रिसर्चर्स ने पांच मैप तैयार किए और दो सबसे ज्यादा रेजॉलूशन वाले मैप में पाया गया कि ऑरोरा से चलने वाली हवाएं सिर्फ थोड़ी ही कमजोर होती हैं। मैप से वायुमंडल के ऊपरी हिस्से में मौजूद गर्मी ईक्वेटर के ऊपर थोड़ी ही कम होती है।
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