काकोरी के शहीदों को दी गयी श्रद्धाजंलि, देश की स्वाधीनता से बढ़कर कुछ नहीं-योगी

लखनऊ । प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को यहां काकोरी ट्रेन एक्शन की वर्षगांठ पर काकोरी शहीद स्मारक स्थल पर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल  आनंदीबेन पटेल ने कहा कि आजादी दिलाने में देशभक्तों के इतिहास से आने वाली पीढ़ी को अवगत कराने की आवश्यकता है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि काकोरी एक्शन की घटना हमें सदैव इस बात का एहसास कराती है कि देश की स्वाधीनता से बढ़कर कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय का यह दायित्व है कि हम देश की आजादी को हर हाल में सुरक्षित रखें।अपने सम्बोधन में राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने कहा कि हमारी यह सोच व संकल्प होना चाहिए कि मैं कभी कोई गलत काम नहीं करूंगा, जो काम करूंगा सही काम करूंगा, देशहित व राज्यहित में काम करूंगा। यह सोच लेकर उत्तर प्रदेश देश का उत्तम प्रदेश बन सकता है। उन्होंने काकोरी ट्रेन एक्शन के क्रान्तिकारी शहीदों के परिवारों एवं कारगिल के शहीदों के परिजनों को सम्मान देने के लिए मुख्यमंत्री को बधाई दी।वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में देश में आजादी का अमृत महोत्सव आयोजित किया जा रहा है, ताकि नई पीढ़ी को शहीदों के बलिदान व उनके त्याग का महत्व पता चल सके और उससे प्रेरणा लेकर वह देश को आगे बढ़ाने में योगदान कर सके। उन्होंने कहा कि 04 फरवरी, 2021 को गोरखपुर से चैरी-चैरा की घटना के शताब्दी समारोह का शुभारम्भ किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि काकोरी ट्रेन एक्शन में क्रान्तिकारियों को केवल 4600 रुपये मिले थे। लेकिन अंग्रेजों ने इस पूरी घटना से जुड़े सभी क्रान्तिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में 10 लाख रुपये खर्च किये। उन्होंने कहा कि देश अंग्रेजी हुकूमत के आगे कभी झुका नहीं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग क्रान्तिकारी गतिविधियां होती रहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सन् 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम तथा अन्य क्रान्तिकारी घटनाओं को देश के स्वाधीनता आन्दोलन के इतिहास में अमिट व स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है। इन प्रेरक घटनाओं के प्रति प्रत्येक भारतीय सम्मान का भाव रखता है। यह घटनाएं हमें इस बात का एहसास कराती हैं कि स्वतंत्रता आन्दोलन में देश की हर जाति और समुदाय ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था। जब भारत एक स्वर में बोलता है, जब व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर भारत का प्रत्येक नागरिक एक साथ चलता है, तो दुनिया के अन्दर एक बड़ी ताकत बनकर उभरता है। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर हम सबको यही ताकत दिखाने की आवश्यकता है। दुनिया को एहसास कराने की आवश्यकता है कि 136 करोड़ की आबादी का यह भारत जाति, मजहब, क्षेत्र, भाषा या अन्य किसी भी प्रकार के भेदों से ऊपर उठकर केवल अपने एक धर्म से जुड़ा है और वह है हमारा राष्ट्रधर्म।