टोक्यो । गोल्फर अदिति अशोक का नाम आज सबकी जुबां पर है। भारत की यह 23 साल की यह प्रतिभावान गोल्फर टोक्यो ओलिंपिक की महिला गोल्फ स्पर्धा में चौथे स्थान पर रही। खिलौनों से खेलने की उम्र में जब अदिति ने गोल्फ की स्टिक थामी थी, तब लोगों ने यह महसूस नहीं किया था कि एक दिन वह इतना बड़ा मुकाम हासिल कर लेगी। उन्होंने केवल पांच साल की उम्र में ही गोल्फ खेलना शुरू कर दिया था। 2016 में जब वह रियो ओलिंपिक में खेलने पहुंचीं तो उन्होंने उन्होंने वहां पहुंचते ही उन्होंने इतिहास रच दिया। अदिति 2016 में भारत के लिए ओलिंपिक में भाग लेने वालीं सबसे युवा भारतीय गोल्फर बन गई थीं। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 18 साल थीं। ओलिंपिक गोल्फ कोर्स में उतरने वालीं वह पुरुष और महिला दोनों वर्ग में सबसे युवा गोल्फर थीं। इसके साथ ही वह ओलिंपिक में उतरने वालीं पहली भारतीय महिला गोल्फर भी हैं। अदिति जब पांच साल की थी तो रेस्तरां में परिवार के साथ खाना खाते हुए उन्होंने पहली बार खिलाड़ियों को गोल्फ खेलते देखा था। वहीं से उनके मन में गोल्फ के लिए प्यार जागा। उनके पिता ने उन्हें इस खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। 2016 में जब वह रियो गईं तो पिता को साथ चलने के लिए कहा। रियो ओलिंपिक में उनके पिता गोल्फ कोर्स में उनका बैग उठाते थे। यानी वह अपनी बेटी के कैडी बने थे। अदिति के पिता ने एक इंटरव्यू में इस बात का जिक्र भी किया था। उन्होंने कहा था मैं सिर्फ उसका बैग उठाता था बाकी काम तो वह खुद ही किया करती थी। टोक्यो में अदिति अपनी मां के साथ पहुंची। मां न सिर्फ उसका हौसला बढ़ा रही, बल्कि एक भावनात्मक सहयोग भी दे रही है। मां और बेटी दोनों का एक ही सपना है-ओलंपिक पदक।
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