नई दिल्ली । बच्चों के लर्निंग प्रोसेस में खेलना बहुत महत्व रखता है। लॉकडाउन के कारण फिलहाल स्कूल और पार्क बंद हैं लेकिन फिर भी आप बच्चों को घर पर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें और उन्हें ऑनलाइन गेम्स खिलाएं। इससे बढ़ते हुए बच्चे का लर्निंग प्रोसेस रूकेगा नहीं। बच्चों के विकास के लिए खेलना बहुत जरूरी है।अगर लॉकडाउन के बाद से आपका बच्चा भी घर पर ही है और वो फिजीकल एक्टिविटी के नाम पर कोई गेम नहीं खेलता है, तो आप यहां जान लें कि ऐसा करना बच्चों के लिए क्यों और कितना जरूरी है। बच्चों का खेलने से सीखने का जाे प्रोसेस है, वो बहुत नॉर्मल है।आसान शब्दों में कहें तो प्ले पर आधारित लर्निंग से बच्चों के दिमाग का विकास होता है। इस दौरान वो कई तरह की एक्टिविटी करते हैं जिससे उन्हें सोचने, कुछ नया करने, बनाने, गलतियां करने और एक्सपीरियंस करने का मौका मिलता है। लर्निंग एक्टिविटीज से बच्चों के फाइन मोटर, ग्रॉस मोटर, सोशल और इमोशनल स्किल्स के साथ लैंग्वेज, मैथ और कॉग्नीटिव स्किल्स बेहतर होते हैं।बच्चे अपने सेंसेस यानि इंद्रियों से ही नॉलेज लेते हैं। जिन एक्टिविटीज में सेंसेस इस्तेमाल होते हैं, उससे बच्चे की जिज्ञाास और कुछ नया सीखने की लालसा पूरी होती है और फाइन और ग्रॉस मोटर स्किल्स का भी विकास होता है। इससे बच्चे की भाषा, कॉग्नीटिव, सोशल और इमोशनल क्षमता भी बढ़ता है। जब बच्चे को गेम में मजा आता है, तो उसके शरीर में डोपामाइन नाम का हैप्पी हार्मोन बनता है। इसका संबंध लर्निंग, याद्दाश्त और मोटर फंक्शन से है। अलग-अलग उम्र के बच्चे भिन्न तरीके से विकास करते हैं। कुछ बच्चों को आसान चीजें समझने में भी दिक्कत होती है। हालांकि, अगर इन्हीं चीजों को खेल के जरिए या दिलचस्प तरीकों से सिखाया जाए, तो बच्चे आसानी से सीख लेते हैं। जैसे कि बच्चे को अगर 5 रंगों का एकसाथ नाम लेने में दिक्कत हो रही है, तो बच्चा गेम के दौरान खिलौनों से इसे आसानी से सीख सकता है। जब बच्चे को गेम में मजा आता है, तो उसके शरीर में डोपामाइन नाम का हैप्पी हार्मोन बनता है। इसका संबंध लर्निंग, याद्दाश्त और मोटर फंक्शन से है। अलग-अलग उम्र के बच्चे भिन्न तरीके से विकास करते हैं। कुछ बच्चों को आसान चीजें समझने में भी दिक्कत होती है। हालांकि, अगर इन्हीं चीजों को खेल के जरिए या दिलचस्प तरीकों से सिखाया जाए, तो बच्चे आसानी से सीख लेते हैं। जैसे कि बच्चे को अगर 5 रंगों का एकसाथ नाम लेने में दिक्कत हो रही है, तो बच्चा गेम के दौरान खिलौनों से इसे आसानी से सीख सकता है। बच्चे जब खेलते हैं तो अपने आसपास की चीजों पर उनका कंट्रोल होता है। जब खेल में आप दखल नहीं देते हैं तो इससे बच्चे ज्यादा जिम्मेदार बनते हैं और खेल के दौरान अपनी सेहत और सेफ्टी को लेकर ज्यादा सावधान रहते हैं। आप बच्चे को ऐसी एक्टिविटीज करवाएं जो उसे असली दुनिया से रूबरू करवाए।
Share on Facebook
Follow on Facebook
Add to Google+
Connect on Linked in
Subscribe by Email
Print This Post