टोक्यो । लवलीना बोरगोहेन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला मुक्केबाज हैं। लवलीना से पहले केवल एक बार अनुभवी महिला मुक्केबाज मैरी कॉम ने साल 2012 के लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। लवलीना की हार के साथ ही भारतीय मुक्केबाजों की चुनौती समाप्त हो गयी है। अन्य मुक्केबाज पहले ही बाहर हो गये हैं। ओलंपिक में भारत को मुक्केबाजी में 9 साल के बाद पदक मिला है। आखिरी बार ओलंपिक में भारत की ओर से साल 2012 में मैरी कॉम ने लंदन ओलंपिक में पदक जीता था। वहीं अब लवलीना ने इस सिलसिले को बरकरार रखा है जबकि मैरी कॉम इस बार पदक नहीं जीत पायी और मुकाबले से बाहर हो गयीं। लवलीना ने महान मुक्केबाज मोहम्मद अली के अलावा माइक टायसन के बारे में पढ़कर भी मुक्केबाजी की ओर अपना रुख किया। बेहद कम समय में इस मुक्केबाज ने ओलंपिक तक का सफर तय किया।
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