काबुल। जब से तालिबान ने कंधार शहर के दो पुलिस जिलों प्रांतीय राजधानी गिराया है, तब से यह शहर अफगान सरकारी बलों और तालिबान के बीच युद्ध का मैदान बना हुआ है। अधिकारियों के बीच शांति वार्ता जारी रहने के बावजूद तालिबान और सुरक्षा बलों के बीच भारी लड़ाई और हिंसा का दौर जारी है। शहर के छह थाना क्षेत्रों में पिछले तीन सप्ताह से दोनों पक्षों में संघर्ष चल रहा है। 14 अक्टूबर, 2020 से हेलमंद प्रांत में तालिबान लड़ाकों और अफगान सुरक्षा बलों के बीच जारी झड़पों के दौरान आंतरिक रूप से विस्थापित लोग अपने सामान के साथ नडाली जिले से लश्कर गाह भाग गए।एक सर्वेक्षण के अनुसार 22 हजार परिवारों के औसतन एक लाख से अधिक लोग कंधार शहर के सुरक्षित क्षेत्रों में विस्थापित हुए हैं। चार परिवार अब एक आवास में रह रहे हैं जो कभी केवल एक के लिए उपयुक्त था और अधिकांश सड़कों पर रह रहे हैं। दो स्थानीय शिविरों में दसियों परिवार बस गए हैं। यहां तापमान अब 40 सेंटीग्रेड तक बढ़ रहा है,वहीं कंधार में लोग बिजली से वंचित हैं। ईंधन की कीमत लगभग दोगुनी हो गई है, शैक्षणिक संस्थान बंद हैं और रात में कोई मोबाइल सिग्नल/कनेक्शन काम नहीं करता है। वहीं रिपोर्ट के अनुसार सार्वजनिक आवासीय क्षेत्रों और घरों को सैन्य गढ़ों में बदल दिया गया है और दोनों पक्षों द्वारा इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। नागरिकों को मारा और घायल किया जा रहा है लेकिन मानवाधिकारों के उल्लंघन की रक्षा के लिए कोई मानवाधिकार अधिवक्ता नहीं है। कंधार शहर के लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि संघर्ष अपनी वर्तमान गति के साथ जारी रहा,तब अधिक लोग विस्थापित होने वाले हैं, जो कि कंधार के रणनीतिक प्रांत में एक मानवीय आपदा को जन्म देगा।
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