नई दिल्ली । भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान धनराज पिल्लई के अनुसार टोक्यो में भारतीय हॉकी टीम को किस्मत का भी साथ मिल सकता है। धनराज ने कहा कि हमारे पास 1992 से 2004 के बीच सर्वश्रेष्ठ टीम थी पर फिर भी हम जीत नहीं जीत पाये। मुझे लगता है कि हमने हर ओलंपिक खेलों में यह गलती की थी कि हम हर मैच के लिए रणनीति बनाने की जगह फाइनल के लिए लक्ष्य बनाने में व्यस्त रहे जिससे टीम पर अनावश्यक दबाव बन गया। धनराज ने हॉकी इंडिया की पुरानी बातों को याद करते हुए कहा। ओलिम्पिक में खेलना मेरा हमेशा से सपना था। इसके लिए मैंने वाकई बहुत मेहनत की। 1989 के बाद से लोग मुझे पहचानने लगे थे। 1989 में मैंने दिल्ली में एशिया कप खेला उसके बाद हम हॉलैंड गए, जहां मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा। हमने पाकिस्तान को 4-2 से हराया, यह मेरे लिए एक अच्छा टूर्नामेंट था और वहां से मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। धनराज ने कहा कि मैंने राइट-आउट और सेंटर फॉरवर्ड खेला। मैंने जूड फेलिक्स को बहुत देखा। वह बहुत ही स्टाइलिश खिलाड़ी थे, मैं भारतीय टीम में आने से पहले उनका खेल देखता था। फेलिक्स दक्षिण रेलवे के लिए खेलते थे और ऐसे महान खिलाड़ियों से युक्त भारतीय टीम का हिस्सा बनना एक शानदार अनुभव था। वहीं परगट सिंह बहुत सख्त कप्तान थे और अभ्यास के दौरान हमेशा गंभीर रहते थे।
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