मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा 13 जनवरी से 26 फरवरी तक

शास्त्रीय-उपशास्त्रीय, लोक-जनजातीय, भक्ति संगीत एवं आध्यात्मिक चित्र प्रदर्शनी

का मनोहारी आयोजन

प्रयागराज,।पवित्र महाकुम्भ के अवसर पर मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा 13 जनवरी से 28 फरवरी तक संगम की रेती पर प्रदेश के चारों अंचलों निमाड, मालवा, बुन्देलखण्ड व बघेलखण्ड के सांस्कृतिक लोक वैभव व संस्कृति को समर्पित मनोहारी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन महाकुम्भ मेला के सेक्टर-7 स्थित पण्डाल में किया जा रहा है। प्रतिदिन प्रातः 9 बजे से रात्रि 10 बजे तक चलाने वाले इस सांस्कृतिक यज्ञ में शास्त्रीय उपशास्त्रीय गायन-वादन के साथ-साथ लोक एवं जनजातीय संस्कृतिक गौरव को दर्शाने वाले लोकरंजक लोकगीतों, नृत्यों, लीला नाट्य के साथ-साथ भारत के आध्यात्मिक वैभव को प्रदर्शित करने वाली बहुआयामी चित्र प्रदर्शनियाँ आकर्षण का केन्द्र होगी।

मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग की विज्ञप्ति के अनुसार 13 जनवरी को सायं 6 बजे से ‘भक्ति शबरी पर आधारित लीला नाट्य प्रस्तुति ग्वालियर की सुश्री गींताजलि गिरवाल के निर्देशन में होगी।

14, 15 जनवरी को भोपाल की सुश्री संगीता गोस्वामी का भक्ति संगीत, भिण्ड के ज्ञान सिंह शाक्य एवं दल का लांगुरिया गायन, डिण्डौरी के मायाराम धुर्वे एवं दल का प्रसिद्ध जनजातीय गुदुमबाजा नृत्य, उज्जैन की सुश्री पल्लवी किशन दल का मटकी नृत्य एवं भक्तिगीत शबरी पर आधारित लीला नाट्य का प्रदर्शन होगा।

16 से 18 जनवरी तक सागर के जयन्त विश्वकर्मा एवं दल का आल्हा गायन, सागर के राजकुमार रैकवार एवं दल का अखाडा, धार के मनीष सिसौदिया एवं दल का प्रसिद्ध भील जनजातीय नृत्य ‘भगौरिया, उज्जैन के विशाल सिंह कुशवाहा एवं दल का ‘म०प्र० के तालवाद्य कचहरी एवं ग्वालियर के हिमांशु द्विवेदी द्वारा ‘निषादराज गुह्य पर आधारित ‘लीलानाट्य’ प्रस्तुति होगी।

19 से 21 जनवरी तक भोपाल का कीर्ति दूबे का भक्ति गायन, नर्मदापुरम् की ममता मिश्रा का बघेली भजन, सागर के अरविन्द यादव का नौरता नृत्य, डिण्डौरी के प्रताप सिंह धुर्वे एवं दल का सैला नृत्य, रींवा के अंकित कुमार मिश्र का ‘हनुमानलीला नाट्य की प्रस्तुति होगी। 22 से 24 जनवरी तक बृजभान सिंह नरवरिया द्वारा बुन्देली भजन, बालाघाट के बैगा जनजाति का घोड़ा पैठाई नृत्यु, सागर का बरेदी नृत्य, भोपाल की श्रुति अधिकारी एवं दल का उपशास्त्रीय संगीत पंचनाद तथा उज्जैन की प्रतिमा रघुवंशी द्वारा मालवी

कथक नृत्यु शैली में शिप्रा नृत्य की प्रस्तुति होगी। 25 से 27 जनवरी भोपाल की सुलेखाभट्ट का भक्ति संगीत, बुन्देली भक्ति संगीत, भारिया जनजाति का भड़न नृत्य, हरदा का काठी नृत्य एवं भोपाल की क्षमा मालवीय एवं दल द्वारा ‘कथक समूह नृत्य का प्रदर्शन न होगा। 28 से 30 जनवरी, 2025 भक्ति गायन (बुन्देली), गणगौर नृत्य, गोण्ड जनजाति- ठाठ्या नृत्य, कथक समूह नृत्य, सती लीला-नाट्य की प्रस्तुतियों होगी।

31 जनवरी से 02 फरवरी, 2025 तक भक्ति गायन, मालवी गायन, मलखम्भ, कोरकू जनजाति का थापटी नृत्य और गुरूदक्षिणा लीला नाट्य प्रस्तुति होगी। 03 से 05 फरवरी, 2025 तक उप शास्त्रीय भक्ति गायन, मालवी भक्ति संगीत, बैगा जनजाति का करमा / परधौनी नृत्य, भोजदेव नाट्य नृत्य एवं कृष्णायन नाट्य नृत्य एवं मटकी नृत्य की प्रस्तुतियाँ होगी।

मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा महाकुम्भ के अवसर पर तीर्थराज प्रयागराज में आने वाले देशी एवं विदेशी श्रद्धालुओं के लिए भारतवर्ष के आध्यात्मिक एवं धार्मिक वैभव को दर्शाने वाली विशिष्ट चित्र प्रदर्शनियों का प्रदर्शन 13 से 19 जनवरी, 2025- प्रभु श्रीराम के 36 गुणों पर आधारित प्रदर्शनी, 20 से 26 जनवरी, 2025- आर्ष भारत भारतीय ऋषि वैज्ञानिक, 27 से 02 फरवरी, 2025- देवी शक्ति के 108 नाम रहस्यों पर आधारित, 03 से 08 फरवरी, 2025- विक्रमादित्य और अयोध्या, 09 से 14 फरवरी, 2025 गौ और गोपाल श्रीकृष्ण के चरित आधारित, 15 से 20 फरवरी, 2025- वृहत्तर भारत का सांस्कृतिक वैभव एवं 21 से 26 फरवरी, 2025 महादेव उज्जैन स्थित शिव के 84 स्वरूप आधारित होंगे।

06 से 08 फरवरी, 2025 तक (उप शास्त्रीय) भक्ति गायन, निमाड़ी भक्ति संगीत, कोरकू जनजाति का गदली नृत्य, ढिमरियाई नृत्य, कृष्णायन एवं विक्रमादित्य नृत्य-नाट्यों की प्रस्तुतियाँ।

09 से 11 फरवरी, 2025 तक (उप शास्त्रीय) भक्ति गायन, बघेली भक्ति गायन, भील जनजाति का डण्डा नृत्य, बधाई नृत्य, नमःरामायण नृत्य नाटिका एवं श्री चन्द्रमाधव बारीक का नमामि देवि नर्मदे की प्रस्तुतियाँ होगी।

इसी तरह 12 से 26 फरवरी, 2025 तक मध्य प्रदेश के लोक एवं जनजातीय गायन-वादन एवं नृत्य के साथ-साथ मध्य प्रदेश के चारों अंचलों के सांस्कृतिक वैभव को प्रदर्शित करने वाले कार्यक्रम महाकुम्भ मेले का विशेष आकर्षण होगा।