बाँदा।पाली हाउस और छोटे स्तर पर लो टनल पाली हाउस विधि से सब्जी की खेती कर किसान अपनी किस्मत संवार सकते हैं।यह खेती की एक ऐसी विधि है,जिसमें किसान बे-मौसम सब्जियों की खेती कर सकते हैं। किसान लो-टनल पाली हाउस तकनीक से खेती की ओर आगे बढ़ रहे हैं।यह बातें जैविक ग्राम बिसंडा से आए प्रशिक्षक एवं प्रगतिशील किसान रोहित श्रीवास्तव ने कहीं।श्रमिक भारती और सीएफएलआई के सहयोग से बड़ोखर खुर्द गांव स्थित प्रेम सिंह की बगिया में महिला किसानों को प्रशिक्षण दिया गया।प्रशिक्षक रोहित ने बताया कि प्रयोग के तौर दिसंबर माह में इस विधि को अपनाया जा सकता है।तकनीक में एक तरह से टनल (सुरंग) में सब्जियां पैदा की जाती हैं।लोहे या प्लास्टिक का स्टिक और पालीथिन शीट से छोटी व लंबी टनल बनाई जाती है।कम लागत में टनल को तैयार हो जाती है।टनल की मदद से फसल को ज्यादा गर्मी और सर्दी से बचाया जा सकता है।मौसम फसल के अनुकूल होने पर टनल को हटा दिया जाता है। इन खेतों की सब्जी ज्यादा चमकदार होती हैं।कानपुर से आए प्रशिक्षक राम शर्मा व अमन सिंह ने हस्तचालित कृषि यंत्रों का खेत में उपयोग करके महिला किसानों को प्रशिक्षण दिया।पहिया बीडर, पैडी बीडर,नार्मल बीडर चलाकर बताया गया। प्रशिक्षकों ने कहा कि कृषि यंत्रों का प्रयोग करके समय को बचाया जा सकता है।श्रमिक भारती के रावेंद्र द्विवेदी ने बताया कि एक बीघा में बेमौसमी सब्जियों के बेहन तैयार किया जाए तो ढ़ाई लाख सब्जी की पौध तैयार होगी।एक साल में 6 से 7 बार बेहन तैयार करके किसान आठ से 10 लाख रुपये आमदनी कर सकते हैं। राजाभइया ने कहा कि एक बीघा में खीरा की खेती करेंगे तो करीब 20 हजार किग्रा उत्पादन होगा। 20 रुपये प्रति किग्रा की दर से भी बिक्री हुई तो चार लाख रुपये प्राप्त होंगे।यदि इसकी लागत एक लाख रुपये निकाल दें तो तीन लाख रुपये मुनाफा हो सकता है।संचालन परियोजना समन्वयक इमरान अली ने किया।इस मौके पर बामदेव एफपीओ के सीईओ मनोज यादव,राजेंद्र कुमार, पूनम त्रिवेदी, वेद द्विवेदी, किसान कमलेश देवी, खैरुननिशा,आशा देवी, सुनीता,सुशीला,शशि प्रभा,सिल्लो, शिव कुमारी,संगीता,उमा देवी,शिवप्यारी, प्रीती, रईसा बानो,रामदेवी,लक्ष्मी देवी सहित 34 महिला किसान शामिल रहीं।
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